धर्म कर्म: बच्चों के भविष्य की गंभीरता से चिंता फ़िक्र करने वाले, भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने में लगे, अहंकार से बचने की शिक्षा देने वाले, और परमार्थी भाव से, पूर्णतया नि:शुल्क सभी सेवा कार्य करने और अपने भक्तों से करवाने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने नव वर्ष कार्यक्रम में उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि बचपना कच्चे घड़े की तरह से होती है। जैसे कच्चे घड़े में कोई भी निशान बन सकता है, चाहे लकड़ी का हो जाए, चाहे पत्थर उड़कर के जाये तो उसी का निशान बन जाता है, धूल मिट्टी अगर आ गई तो खुरदरा हो जाता है। ऐसे ही बच्चों के ऊपर भी असर आ जाता है।
इसीलिए उनका ध्यान रखो कि कहां जा रहे हैं, क्या कर रहे हैं, पढ़ रहे हैं या मोबाइल में ही सिनेमा देख रहे हैं। क्या कर रहे हैं, इसका थोड़ा सा ध्यान रखो। अगर कम उम्र में बच्चे-बच्चियाँ बिगड़ गई तो उनको सुधारने में बहुत दिक्कत आती है, सुधारने में छक्के छूट जाते हैं।
नो कैश काउंटर, नि:शुल्क सेवा करो
बाबा उमाकान्त जी ने 8 जून 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि लोग कहते थे बाबा लोग मंदिर इनकम के लिए बनाते हैं कि इसकी आमदनी से सब काम कर लेंगे। और यह (महाराज जी) तो अस्पताल बना रहे हैं, इसमें खर्चा ही खर्चा है। और जब यह घोषणा किया गया कि – नो कैश काउंटर यानी यहां कोई भी कैश का, रुपया-पैसे का काउंटर ही नहीं रहेगा, पर्चा बनाने (रजिस्ट्रेशन) का भी कुछ मत लेना, पूर्णतया नि:शुल्क सेवा करो। तब फिर लोग सोचने लग गए कि बाबा लोग तो मांगते ही हैं, खर्च कौन करता है? सोचने पर मजबूर हो गए। अगर आप भी और लोगों जैसा ही काम करोगे तब आप उनसे अलग कैसे रह पाओगे? और सेवा का फल आपको कैसे मिलेगा? दूसरा जो आपको देगा भी, वो आपका सब ले जाएगा। जब आप अपने लिए खर्च करोगे, अपने पास रखोगे। कर्मों का विधान अभी आपको मालूम नहीं है। कर्मों का बड़ा तगड़ा विधान होता है। कर्मों का लेना-देना तो ऐसे चुकाना पड़ता है कि आदमी उसी में पस्त हो जाता है।