धर्म-कर्म : जिनकी बोली हुई एक लाइन से लोगों का जीवन सुधर जाता है, जिनकी इच्छा मात्र करने से कार्य सम्पूर्ण हो जाते हैं, जिनके पास किसी भी तरह की कोई कमी नहीं है, जो उपरी लोकों से जरुरत के अनुसार जीवों को बुला लेते हैं, जो अपने भक्तों के इस नश्वर संसार के दुखों को भी दूर कर देते हैं, और जो अपने गुरु के आदेश के अनुसार जो अच्चा साधक होगा, जिसे भी ये लायक समझेंगे उसको बता कर जायेंगे, ऐसे इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने संदेश में बताया कि सन्त जो कह देते हैं वही मंत्र होता है।
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उसको अगर कोई पकड़ लेता है तो वही उसके लिए महामंत्र हो जाता है। सतसंग बराबर सुनते रहना चाहिए। इच्छा करते ही सन्तों का कार्य हो जाता है, उन्हें कोई कमी नहीं होती। भक्तों के नसीब में यदि कोई चीज नहीं है और ये देना चाहे तो काल के नियमों को न तोड़ते हुए उपरी लोकों से स्पेशल जीव बुला लेते हैं। सन्त सब प्राप्त करने का तरीका बताते हैं।