धर्म-कर्म: जीते जी भगवान से मिलने का रास्ता बताने वाले, बड़ी चीज दिलाने वाले, वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने संदेश में बताया कि वक्त के नाम से जब उस प्रभु को पुकारेंगे तो मदद कर देता है। गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा। गुरु ही परमात्मा रूप में होते हैं क्योंकि गुरु ही परमात्मा का बोध, ज्ञान, दर्शन मनुष्य शरीर में कराते हैं। गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय, बलिहारी गुरु आपने जिन गोविंद दियो बताए। यानी भगवान परमात्मा से पहले गुरु का पैर पकड़ा जाए जिन्होंने भगवान की पहचान कराई। गुरु की दया से ही भगवान तक पहुंचे हैं तो गुरु का दर्जा सबसे ऊंचा हुआ करता है।

वक्त के सतगुरु के दर्शन का महत्व:- 

बाबा उमाकान्त जी ने बताया कि बरकत खास चीज होती है। बरकत थोड़ी सी ही हो, थोड़े ही दिन में हो, समझ लो बड़ा आदमी हो गया। बड़ा आदमी जब हो गया तो वही जंजाल बढ़ा। अब उसको नींद नहीं आने लगी कि कैसे इस (धन) को सेट करें, क्या करें, कैसे इसको बढ़ावें। तब एक दिन नींद नहीं आ रही थी, सोचने लगा गुरु महाराज सतसंग में सुनाए थे कि हो सके तो रोज गुरु का दर्शन करो। और नहीं तो दूसरे दिन, तीसरे दिन करो। वो भी न हो सके तो हफ्ते में एक बार करो। न हो पाए तो 15 दिन में एक बार करो, एक महीने मे भी न हो पावे तो तीन महीने में करो, नहीं तो 6 महीने में करो और 6 महीने में भी न हो पाए तो साल में एक बार जरूर कर लो। कबीर साहब ने भी कहा, बरस बिना में दर्शन न कीना, ताको लागे दोष, कहत कबीर वाको कभी न होय मोक्ष। तो यह बात बिल्कुल सत्य है कि मिलने-जुलने से कर्म कटते हैं, जानकारी होती है।

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *