धर्म-कर्म : पूरे गुरु, रूहानी आध्यात्मिक तरक्की करवाने वाले, प्रभु से मिलने का रास्ता नामदान बताने वाले, आकाशवाणी सुनाने वाले, मोह माया को ढीला कराने वाले, सेवा के विधान को और सरल कर लागू करने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने उज्जैन में बताया कि किसी को भी गुरु बना लेने से तकलीफ दूर नहीं होती है।

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अधूरे गुरु प्रभु से नहीं मिलवा पाते, उनकी आवाज नहीं सुनवा पाते, मोह माया को ढीला नहीं करा पाते तो जीव का उस मालिक के प्रति विश्वाश धीरे-धीरे खत्म होता जाता है। इसलिए पूरे गुरु को खोजो। गुरु के आदेश का पालन करना भक्ति कहलाता है। गुरु त्रिकालदर्शी होते हैं इसलिए उनके आदेश का अक्षरश: पालन करो। शरीर के कर्मों को काटने के लिए सेवा करने के बहुत सारे विधान है। सेवा से कर्म कटेंगे।

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