धर्म-कर्म : बाबा जयगुरुदेव के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस वक़्त के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने अपने संदेश में बताया कि गुरु महाराज कार्यक्रम का आयोजन करते रहते थे। 11 दिन, 7 दिन सतसंग सुनाते थे, मौक़ा देते थे तब लोग फायदा उठा पाते थे। प्रेमी हो उनकी दया का अनुभव करते आ रहे हो। आज भी गुरु की दया का अनुभव आप कर रहे हो। गुरु बराबर दया करते रहते हैं।

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चाहे गलत हो या अच्छा काम करने वाला हो, आदमी टीम बनाता है ताकि हमारे साथी बन जाएँ, हमको अपने मिशन में कामयाबी मिल जाए। ऐसे ही साधक साधकों की, धार्मिक लोग धार्मिक लोगों की, सतसंगी सतसंगीयों की टीम बनाते हैं। टीम में ज्यादा कामयाबी मिलती है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं कि मेरा फायदा हो, दूसरों से मतलब नहीं। अपने फायदे के लिए आदमी सतसंग में आ जाता है, सतसंग सुनता, भजन ध्यान करता, दया दुआ लेकर के चला जाता है, डिस्चार्ज होकर के यहां आता है और मेंटली चार्ज होकर के यहां से चला जाता है। लेकिन और लोगों को लाभ नहीं मिलता। परिवारजन, मित्र, रिश्तेदार, पड़ोसी, सहयोगी आदि को लाभ नहीं मिल पाता है। तो आप उनको भी लाओ, उनको भी लाभ दिलाओ।

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