धर्म-कर्म: शाकाहार नशामुक्ति के कट्टर समर्थक, देशव्यापी शराबबंदी के पक्षधर, गौ सेवक, सबमें दया भाव भरने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने अपने संदेश में बताया कि मांस खाने वालों की वजह से हिंसा हत्या होती है, यह खुद भले ही न करें, भले ही कोई मांसाहारी कहे कि हम (हिंसा नहीं करते, केवल) पैसा देकर के खरीद करके लाते, खाते हैं लेकिन उसकी (उनके मांसाहार की) वजह से यह जानवर काटे जाते हैं। यही जीवात्मा जब सभी के अंदर में है तो आपको उसके ऊपर दया करनी चाहिए। मुसीबत आने पर आप भगवान को याद करते हो। उनके अंदर भी खून, हड्डी, खाल, जीव है। आप उनको बना नहीं सकते हो तो उनको काटने के अधिकारी भी नहीं हो। उनका भी समय (उम्र) है, उनको भी अपनी मौत मरने दो। प्रकृति द्वारा इस तरह के जानवरों को खाने के लिए दूसरे जानवर (सिस्टम) बना दिए गए हैं जिससे गंदगी न हो।

यह भी पढ़ें : Health Tips: छोड़ना चाहते हैं धूम्रपान की लत, इन योगासनों का करें अभ्यास

महाराज जी ने आगे कहा की, अंग विहीन लोग जैसे जिनका पैर हाथ आंख नहीं काम करता, असहाय होते हैं। तो अंधा अगर कुछ बोल भी दे तो भी लोग बर्दाश्त कर जाते हैं की अंधे को कौन मारे? देखो भिखारी को कोई नहीं मारता है। यह असहाय है। पहले लोगों के अंदर दया भाव बहुत रहता था। अब दया भाव नहीं रह गया। दया भाव अगर भर दिया जाए तो हिंसा हत्या होगी ही नहीं। जानवर जो काटे जा रहे हैं, अगर लोगों के अंदर दया आ जाए और इस बात को समझ जाए कि हमको जब कोई मरता काटता जब दर्द होता है, यही जीवात्मा उनके शरीर के अंदर भी है। उनको मारेंगे काटेंगे तो दर्द होगा। जब दया को लोग समझ जाए तो हिंसा हत्या खत्म हो जाएगी।

 

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *