धर्म-कर्म: महाराज जी ने उज्जैन आश्रम में दिए अपने सन्देश में बताया कि सबसे बुरी बला है शराब। शराब की बंदी अगर कर दी जाए तो अभी सब व्यवस्था सही हो जाए। जहां शराब फैला है, वहीं पर हर तरह की गंदगी है। वहीं चरित्र का हनन, बदनियती, रुपया पैसा में घपला, सारी बीमारीयां सामाजिक कुरीतियां आदि सब वहीं पर है। अभी म.प्र. सरकार ने देसी दुकान पर अंग्रेजी (शराब भी) बेचने का परमिट दे दिया। क्यों? पैसा मिलेगा, (सरकार को) आमदनी होगी लेकिन उससे नुकसान कितना होगा, यह तो सोचना चाहिए। कितने मरेंगे, कितने जीयेंगे, कितनी एंबुलेंस में ढोओगे, कितने रात में डॉक्टर को जगा कर उनका इलाज करवाओगे? एक्सीडेंट, मारकाट, दंगा बवाल होगा, पुलिस वालों को रात भर दौड़ना पड़ेगा, बड़े-बड़े अधिकारियों की नींद हराम हो जाएगी, यह सब तो तुमने सोचा नहीं।
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हम तो यही प्रार्थना करते हैं सरकार से कि आप शराब को बंद ही कर दीजिए। आप ऐसा काम क्यों करते हो? कुछ प्रदेश में लोगों ने हिम्मत किया और (शराब) बंद कर दिया। कुछ नहीं कर पाए। रोना पीटना चिल्लाना नाटक बाजी तो हुई लेकिन कुछ नहीं। जब तक शराब की बंदी नहीं होगी तब तक व्यवस्था सही नहीं हो सकती है। प्रेमियों आप (शराब) बंद तो नहीं कर सकते हो, लेकिन बंद करा सकते हो, किसी से कह कर के? जैसे मैं इनसे प्रार्थना कर रहा हूं, वैसे ही आप भी कर सकते हो। आपको कहने लिखने पढ़ने की जरूरत नहीं है। आप उस मालिक तक आवाज लगा सकते हो, उससे कह कर के आप बंद करा सकते हो। मालिक की जब मौज हो जाएगी तो देर नहीं लगती, चुटकी में काम हो जाता है। एक-एक सतसंगी एक-एक दिन में एक शराबी के पीछे पड़ कर समझा बता करके हाथ-पैर जोड़कर अगर शराब छुड़ा दे तो अभी बहुत जल्दी लोगों की शराब छूट जाएगी। आप जो अभी नये लोग आए हो तो आप संकल्प बनाओ कि आप शराब नहीं पियेंगे, अंडा मांस नहीं खायेंगे।