धर्म-कर्म : साधना में दया कर दिव्य आवाज आकाशवाणी, वेदवाणी, अनहद वाणी, शब्द सुनाने वाले, समय व्यर्थ न करने और परमार्थ कमाने की शिक्षा देने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी ने बताया कि काल के नीचे के लोकों की आवाजें जो साधना में सुनाई देती हैं वो अनहद कहलाती हैं। उसके उपर का शब्द पकड़ में आने पर ये अनहद भी ख़त्म हो जाता है। बुड्ढों को अपने अनुभव को बांटना चाहिए। बच्चों को धूल मिट्टी में खेलने देने से उनके शरीर में पृथ्वी तत्व की कमी नहीं होती।
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महाराज ने बताया कि तेल मालिश से हड्डियां मजबूत होती हैं, रक्त का संचार शरीर में (तेज) हो जाता है। इसलिए हर किसी को हफ्ते में एक बार तो मालिश करना ही करना चाहिए। जो लोग रोज मालिश करते हैं उनकी हड्डियां नसें चमड़ी हर चीज मजबूत हो जाती है। घी से ज्यादा ताकत तेल में है। घ्रतस्य शप्त गुणं तेलम, मर्दनेन नतु भक्षणे। तेल खाने से नुकसान होता है लेकिन मालिश करने से नुकसान नहीं होता है। महाराज जी ने कहा की, आजकल कि बच्चियां कपड़ा बदन गंदा होने की बात कह कर बच्चों की तेल मालिश नहीं करती हैं। वोही बच्चे कमजोर रह जाते हैं जिनके बदन की मालिश नहीं होती है, बदन में तेल नहीं लगता है, हड्डियां कमजोर हो जाती हैं फिर डॉक्टर विटामिन आदि की कमी बता कर गोलियां खिलाता है फिर और रोग पैदा हो जाता है। अंग्रेजी दवा का असर ये होता है कि ये मर्ज को दबाने में सीधे असर करती हैं। उससे और विकार पैदा हो जाते हैं।
बच्चों को जमीन धूल मिट्टी में क्यों खेलने देना चाहिए:-
महाराज जी ने कहा की, बहुत सी बच्चियां बच्चों को जमीन में खेलने नहीं देती हैं, हमेशा (गोद में) टाँगे रहेंगी, हमेशा बिस्तर पर रखेंगी, पैर जमीन पर पड़ने ही नहीं देती, तो धरती तत्व (बच्चे के शरीर को) नहीं मिल पाता है, तत्वों की कमी हो जाती है। शरीर को पाँचों तत्व मिलने चाहिए। हवा, पानी, आसमान के नीचे खुले में, जमीन पर भी चलना चाहिए। देखो पानी के जहाज पर जाने वाले 6 महीना (समंदर में) ड्यूटी (मर्चेंट नेवी) के बाद 6 महिने के लिए छुट्टी दे देते हैं कि जाओ जमीन पर घुमो नहीं तो पृथ्वी तत्व तुम्हारे अन्दर कम हो जायेगा, शरीर पीला पड़ने लगेगा, स्वास्थ्य खराब होने लग जायेगा। तो बच्चों को खेलने देना चाहिए, जमीन में लोटने देना चाहिए, धूल-मिट्टी लगने देना चाहिए, उससे शरीर में मजबूती आती है।