धर्म कर्म: जीव के जन्म-जन्मान्तर के जमा कर्मों को ख़त्म करने वाले, इस दुःख की दुनिया का कड़वा सच बताने वाले, अपने प्रेमियों से प्रचार करवा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रभु से जोड़ने-जुडवाने वाले, इस वक्त के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने अपने संदेश में बताया कि कैसे भी करके जीवों को ज्यादा से ज्यादा दया लाभ मिल सके, इसके नित नये प्रभावी आसान उपाय निकालने वाले, अपनी विहंगम द्रष्टि से प्रसाद में दया भर देने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने बावल आश्रम में बताया कि सब प्रेमी अपने-अपने क्षेत्रों में अपने हिसाब से, सब मिलकर गुरु पूर्णिमा पूजन करने का अभियान चलाओ।
जिससे गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम में न आ सकने वालों को, और नये लोगों को भी दया मिल सके। कार्यक्रम की सारी व्यवस्था पुराने लोग खुद करो। लोगों को जोड़ लो, जिला कमेटी में सदस्य बढ़ा लो। गुरु पूर्णिमा का प्रसाद जो लेकर गए इसी में और प्रसाद मिलाकर बना लो। गुरु की जब विहंगम दृष्टि पड़ने पर प्रसाद में ताकत आती है तब वह फलदाई, मुसीबत में मददगार, श्रद्धा भाव भक्ति पैदा करने में, लोगों को जगाने में भी मददगार होता है।