धर्म-कर्म: आने वाले बहुत ही ख़राब समय से समय रहते आगाह करने वाले, बचने का उपाय बताने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, अन्तर्यामी, लोकतंत्र सेनानी, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने बताया कि शिव का तांडव शुरू न होने पाए। तांडव कभी भी शुरू हो सकता है। इस समय जो परिस्थितियां बनी हुई हैं, उस हिसाब से विनाश के कगार पर आदमी खड़ा हुआ है। भारत ही नहीं, पूरा विश्व बारूद के ढेर पर खड़ा हुआ है। कभी भी आग लग जाए, ध्वस्त हो जाए। इसीलिए बहुत ही सजग रहने की जरूरत है। इस समय पर ज्यादा लोभ लालच में मत पड़ो प्रेमियों। मेहनत और ईमानदारी की कमाई पर भरोसा रखो। इसमें बरकत मिलेगी। आप किसान, व्यापारी, अधिकारी, कर्मचारी, राजनेता आदि हर तरह के लोग यहां बैठे हुए हैं। आप अपने हिसाब से, जहां पर भी हो, उस धर्म का पालन करो। गृहस्थ धर्म का पालन करो।
शंकर जी भक्ति और प्रेम के नशे में रहते हैं:-
महाराज जी ने बताया कि शंकर जी गांजा भांग धतूरे का नशा नहीं करते हैं। वह तो दूसरे नशे में रहते हैं। भक्ति और प्रेम के नशे में रहते हैं। और उनको जो संहार का काम मिला हुआ है उसे करते ही करते हैं। उनको तो करना ही करना है। कर्मों का विधान जब से बना तब से कर्मों की सजा मिलनी ही मिलनी है। सबको मिलती है। यह जरूर है, जो उनकी पावर में होता है, उसमें थोड़ी रियायत कर देते हैं। जैसे किसी सिपाही को हुकुम हो गया कि जाओ मुजरिम को पकड़कर के ले आओ। खुश अगर होगा तो मारपीट नहीं करेगा, गाली गुप्ता नहीं देगा लेकिन मुजरिम को पकड़कर के थाने पर ले ही जाएगा। रास्ते में, जज के सामने पेश करते समय तकलीफ, सजा नहीं देगा, प्रेम से ले जाएगा। तो वह उतना ही कर सकता है। सजा से मुक्ति नहीं दिला सकता है। सजा को कौन माफ करता है? सजा को जज ही माफ करता है। (कर्मों की सजा को वक़्त के समरथ सन्त सतगुरु ही माफ़ कर सकते हैं)