धर्म-कर्म : जीते जी प्रभु से मिलने का तरीका नामदान बताने वाले, जान-अनजान में बने पाप कर्मों की मिल रही सजा से बचने का उपाय बताने वाले, जिनके रूप में वो सबका परम पिता अभी इस धरती पर स्वयं आया हुआ है, ऐसे इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, परम दयालु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी ने बताया कि इन चर्म आँखों-कानों से उस प्रभु को देख-सुन नहीं सकते। वो न तो दिखाई पड़ते हैं न सुनाई पड़ते हैं और न कोई बात हो पाती है। तो असली चीज नहीं मिल पाती और और नकली में ही लोग फंसे रहते हैं, इस दुनिया संसार से चले जाते हैं। हमेशा भेदी इस दुनिया में रहे हैं। भेदी वो प्रभु से मिलाने वाले, रास्ता बताने वाले, जिनको सन्त कहते हैं।

पाप कर्म ही लोगों को सजा दे रहे हैं:-

पाप बहुत बढ़ता चला जा रहा है। देखो पाप ही लोगों के सामने अंधकार बनकर, पहाड़ बनकर आ जाता है। लोगों के पाप कि ही वजह से सजा मिलती है जब बाढ़ आ जाती है, ऊपर से चिंगारी बरस जाती है जिसको कहते हो कि वज्र गिर गया, बिजली गिर गई, वज्रपात हो गया। यह क्यों होता है? ऊपर से घर्षण होता है, मेघ जब नाराज होते हैं तो ऊपर से घर्षण करते हैं, चिंगारी निकलती है। वह जिसके ऊपर गिरती या घर के ऊपर गिरती है, उसका नाश हो जाता है। घर-घर में बीमारी, लड़ाई-झगड़ा, वैमनस्यता, ईर्ष्या-द्वेष, पुरुष, औरत दोनों एक-दूसरे के काम नहीं आ रहे, भाई-भाई का दुश्मन बन जाता है, यह सब क्या है? सब कर्मों का चक्कर है।

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