लखनऊ : बीबीएयू के पर्यावरण विभाग की टीम ने पेयजल से फ्लोराइड को स्थायी रूप से हटाने की तकनीक विकसित करने में सफलता पाई है. प्रो. नरेंद्र कुमार की टीम 3-ई डिफ्लोराइडेशन असेंबली को केंद्र सरकार से पेटेंट भी मिल गया है. तकनीक वैज्ञानिक और इंजिनियरिंग अनुसंधान बोर्ड नई दिल्ली ने शोध को स्वीकार किया है. प्रो. नरेंद्र कुमार के अनुसार देश के 21 राज्यों में रहने वाले 14 वर्ष से कम उम्र के 60 लाख बच्चों सहित 6.5 करोड़ से अधिक लोग फ्लोराइड विषाक्तता के संपर्क में हैं.

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यूपी के कई क्षेत्रों में भूजल स्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा खतरनाक स्तर पर पाई जाती है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की तरफ से निर्धारित सीमा से कहीं अधिक है. विकसित तकनीक से पानी में फ्लोराइड की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए बायोवेस्ट और भू-सामग्री के संयोजन से कम लागत वाली अवशोषक का प्रयोग किया गया है. यह विधि पानी में फ्लोराइड के स्थायी प्रबंधन हेतु सफल पाई गई है. टीम के सदस्यों में अनित कुमार यादव, डॉ. वर्तिका शुक्ला, प्रो. सुनीता मिश्रा, अनीता, डॉ. धनंजय कुमार, डॉ. संजीव कुमार, डॉ. रितु सिंह, डॉ. शिल्पा पांडे और प्रो. मुनेंद्र सिंह शामिल हैं.

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