हरियाली तीज का पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। सावन में चारों तरफ हरियाली होती है इसलिए इसे हरियाली तीज का नाम दिया गया है। हरियाली तीज इस बार उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में मनाई जा रही इस दिन भगवान शिव और पार्वती की संयुक्त रूप से उपासना की जाती है और भगवान शिव और माता पार्वती की अर्धनारीश्वर रूप में पूजा की जाती है। इस व्रत को रखने से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं जबकि कुंवारी लड़कियां मन चाहे व की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती है। ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने अपनी कठोर तपस्या से इसी दिन भगवान शिव को प्राप्त किया था | इस दिन वृक्ष नदियों और जल के देवता वरुण की भी उपासना की जाती है।

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हरियाली तीज पर पूजा विधि

हरियाली तीज के दिन माता पार्वती को सोलह सिंगार किया जाता है और पूरे दिन उपवास रखा जाता है। इस दिन मृत्यु महिलाएं श्रृंगार में मेहंदी जरूर लगाती हैं और चूड़ियां पहनती है और शाम को शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती है।

आपको बता दें कि ऐसी भी मान्यता है कि हरियाली तीज से शीघ्र विवाह का संबंध भी है। अविवाहित कन्याओं को इस दिन उपवास रखकर शिव अघोरी की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। इससे इंसान की कुंडली के सभी वादक दूर होते हैं और इस दिन पूजा करने से वह सभी बाधक के दूर हो जाती है।

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