धर्म-कर्म : निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, जीते जी देवी-देवताओं के दर्शन और मुक्ति-मोक्ष दिलाने वाले, अति सरल शब्द नाम योग साधना बताने वाले, अमोलक नाम का दान देने वाले, संभाल करने वाले, संस्कार डालने वाले, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने बताया कि नाम दान लेने से पहले आपको कुछ छोड़ना पड़ेगा।

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घर, जमीन-जायदाद, बाल-बच्चों को, अपना धंधा नौकरी कुछ नहीं छोड़ना है। न बाल बढ़ाना न कटाना, न कपड़ा बदलना। जैसे रहते हो, वैसे रहो। आपके पास है तो अच्छा खाओ, अच्छा पहनो, अच्छे समाज में रहो। पूरी छूट है। छोड़ना क्या है? गंदी चीजों को। मांस, मछली, अंडा, शराब और शराब जैसा तेज नशा चाहे गोली, जड़ी-बूटी, चाहे पीने वाली चीज हो, उसको छोड़ना है। उससे (नशे से) दूर रहना है जिससे बुद्धि खराब हो जाती है, आदमी मदहोश हो जाता है। मदहोशी में ही गलत काम करता है। इसलिए मदहोशी वाले नशे का सेवन मत करना।

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