धर्म कर्म: जीते जी उपरी लोकों में जाने की युक्ति बताने वाले, चाहे गरीबी हो या अमीरी, प्रभु को कभी न भूलने की शिक्षा देने वाले, गुरु का मिशन पूरा करने वालों से ज्यादा प्रेम करने वाले, जिन्हें कम प्रयास में थोड़े समय में ज्यादा सफलता मिलती है, ऐसे इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने जिला रामनगरम (कर्नाटक) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि सुमिरन ध्यान भजन किया ही नहीं इसीलिए गुरु की पहचान हो ही नहीं पाई। उनसे अगर यह कहा जाए कि गुरु ही सब कुछ है, गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर, गुरु ही सब कुछ हैं तो उनको विश्वास नहीं होगा। वह तो कहेंगे जिस पेड़ को हम पूजते हैं, जहां फूल पत्ती प्रसाद चढ़ाते हैं, जिस आदमी की बनाई हुई मूर्ति की, फोटो की हम पूजा करते हैं, यही हमारे सब कुछ है। लोगों को फायदा कुछ न कुछ होता है। क्यों? क्योंकि अच्छी भावना जगती है। मंदिरों में जाते हैं, कोई चीज सुनने के लिए जाते हैं, कोई सुनते हैं, समझ में आता है। कुछ भी हो, धर्म-कर्म की बात, अच्छी भावना जुड़ती है। यह सब कहते हैं कि रोटी खिलाओ, पानी पिलाओ तो वो खिलाते हैं। शरीर को, धन को धर्म के काम में लगाते हैं तो उसका फायदा लाभ मिल जाता है। तो वो लोग उसी में लगे रह जाते हैं। लेकिन जो गुरु के बताए हुए रास्ते पर चलते हैं, बताये हुए तरीके से आंख बंद करके अगर आप ध्यान लगाओगे और ऊपरी लोकों में, स्वर्ग बैकुंठ देवलोक सूर्य चंद्र लोकों में जाओगे, गुरु के रूप को जब अंतर में देखोगे तब आपको विश्वास होगा।
छोटे छोटे लोग बड़ा काम बना देते हैं
महाराज जी ने बताया कि किसी अधिकारी/ बड़े आदमी से आपको मिलने जाना हो तो दरवाजे पर खड़े पहरेदार को अगर आप सलाम कर लो और प्रेम से बोलो, बात कर लो, पूछ लो, साहब हैं? तो बता देगा, हैं। और अगर ऐंठ कर बोले तो रोक देगा, (साहब) रहेंगे तो भी रोक देगा। उसको पावर शक्ति है, वह मौके का हाकिम है और अगर ज्यादा खुश हो गया, भैया मिलवा दो, हमारा यह काम है, आप दया कर दो, आप ही मेरे हाकिम मालिक, पहले आप ही हो तो मदद भी कर देता है। (अन्दर) जा करके (साहब से) कह भी देता है कि बहुत अच्छा भला आदमी आया है, मिलना चाहता है, समय मांग रहा है, आपकी दया हो जाए। छोटे-छोटे लोग बड़ा काम बना देते हैं। बहुत से लोग यही सोचते हैं कि बड़े अधिकारी, बड़े आदमी से ही दोस्ती करो। प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री अध्यक्ष मंत्री के पास ही पहुंच जाओ और उनसे दोस्ती कर लो, वह सब काम आपका करा देंगे। लेकिन ऑर्डर तो उन्होंने किया, नीचे वालों ने नहीं किया तब क्या करोगे? और अगर चपरासी, बाबू को पकड़ लो तो वह सब रास्ता बता देगा।
दोस्ती कर लो, गाँव में कहावत है- अफसर करें न अफसरी, दफ्तर करे न वर्क और दास मलूका कह गए, सब कुछ करे क्लर्क। तो पावर शक्ति होती है। नहीं तो घुमाता, दौड़ता रहे, फाइल इधर का उधर करता रहे। तो जो समझदार लोग होते हैं, नीचे वालों से दोस्ती करते हैं। अधिकारियों के घरों में जो नौकर-नौकरानी होती है उनको सतसंग सुनाओ, वो सतसंग सुना करके और घर की औरतों को समझा करके बता कर के जोड़ देती है। एक जीव का, उसका भी फायदा हो जाता है। और नहीं तो आजकल जिसके पास पैसा, पद हो गया, उसको भगवान याद आता है? दिया तो सब भगवान ने ही लेकिन भगवान को लोग रईसी में भूल जाते हैं। खाने पहनने की जब अधिकता प्रचुरता होती है, कमी नहीं रह जाती है, मान-सम्मान की जगह जब मिल जाती है तब (भगवान को) भूल जाते हैं। यह कोई कहने की बात नहीं है, मैंने बहुत लोगों को देखा।