धर्म कर्म: रूहानी तालीम, अध्यात्मिक पढ़ाई करवाने वाले, प्रेम से, भाव से प्रार्थना करने पर रीझने वाले, स्थाई मस्ती लाने वाले, तिफरकेबाजी से दूर रहने की शिक्षा देने वाले, सामन्य ज्ञान, बातों, उपदेशों से आगे बढ़कर पूरा सच, पूरी बात, पूरा उपाय बता कर पूरा लाभ दिलाने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने प्रयागराज (उ.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि सन्तमत में प्रमुख रूप से चार चीजें होती है। प्रार्थना, सुमिरन, ध्यान और भजन। प्रार्थना करनी चाहिए। प्रार्थना आप लोग याद नहीं करते हो। कम से कम दो-तीन प्रार्थना सबको याद होनी चाहिए। प्रार्थना करने के बाद मन बनता है। प्रार्थना जिसकी की जाती है, वह देखते हैं। और जब देखते हैं तब दया देते हैं। उससे प्रेम बढ़ता है। चार बच्चे हैं, अपना खेलते, काम करते रहते हैं लेकिन जो बच्चा पिता को पुकारता है उसकी तरफ पिता देखता है। छोटा बच्चा पिताजी पापाजी रट लगाए रहता है तो देखो बाप उससे कितना प्रेम करता है। और जो बड़े लड़के रहते हैं, कभी जरूरत पड़ती है तब याद करते हैं। प्यार तो उनका सबसे रहता है। सकल जीव मम उपजाया, सब पर मोर बराबर दाया। दया तो प्रभु की सब पर बराबर होती रहती है क्योंकि सब लोग उसी के हैं। लेकिन जो याद करता है उसको वह ज्यादा प्यार करते देते हैं। जैसे छोटे बच्चे का उदाहरण दिया तो छोटा बनकर ही प्रार्थना की जाती है। मेरे प्यारे गुरु दातार, मंगता द्वारे खड़ा। और मंगता जो बनेगा, छोटा हो ही जाएगा, वह तो हाथ जोड़ेगा, फैलाएगा तो छोटा हो ही जाएगा। बड़ा बड़प्पन अपना नहीं छोड़ता है, अहंकार में आ जाता है। लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूर, चींटी चावल ले चली, हाथी मस्तक धूल।
ये विज्ञान अध्यात्म से ही निकला है
महाराज जी नेउज्जैन आश्रम में बताया कि पहले के लोग बड़े समझदार थे। मोटा खाना, मोटा पहनना, मोटा रहना। पढ़े-लिखे तो नहीं रहते थे लेकिन समझदारी बहुत रहती थी। बुद्धि उनकी आज, इस तरह की तेज तो नहीं थी कि हवाई जहाज ,हेलीकॉप्टर, एटम बम, परमाणु बम बना दे लेकिन अपने बचने का तरीका लोगों को मालूम रहता था। यह बनाते तो चले जा रहे हैं लेकिन बचने का तरीका नहीं बना पा रहा हैं। जब तक दूसरे के विनाश के लिए बनाते हैं तब तक दूसरा उसकी काट, अपने बचने का उपाय बना लेता है तो उसमें विकास नहीं हो पाता है। तो यह विज्ञान, अध्यात्म से निकला है। तो अध्यात्म की पढ़ाई तो इन्होंने किया नहीं तो इनको क्या पता कि किस तरह से कैसे काटा, नष्ट किया जाता है। कुत्ता भौंका, बाण छोड़ा, गया और कुत्ते के मुंह में ही बाण भर कर मुंह बंद कर दिया। कुत्ता को बजाय मारने, नोचने के, उसके काटने की शक्ति खत्म कर दी, कैसे मीठे तरीके से किया।
दु:ख तकलीफ पाप से छुटकारा ऐसे मिलेगा
महाराज जी ने उज्जैन आश्रम में बताया कि जैसे लोग कह देते हैं कि पाप करोगे तो नरक जाओगे। लेकिन नरकों से बचत कैसे होगी? यह भी तो बताना जरूरी है। दु:ख अगर किसी को मिल रहा है तो उस दु:ख से छुटकारा कैसे मिलेगा? यह भी तो बताना जरूरी है। कहा है कि मनुष्य शरीर में ही भगवान मिलता है, सब जानकार कहते हैं कि इसी मानव मंदिर में प्रभु का दर्शन होता है और जिसको मिला इसी में मिला। बात सत्य है लेकिन मिलेगा कैसे? मिलवा दो। तब तो विश्वास होगा। देखे बिन न होये परतीती, बिन परतीत होये न प्रीती, बगैर देखे विश्वास नहीं होता है।