धर्म-कर्म : समाज में फैली तमाम विसंगतियों के मूल कारण और उन्हें दूर करने के सरल उपाय बता कर मानव, परिवार, समाज और देश तथा बुनियादी मूल्यों के तेजी से होते पतन को रोकने वाले, युगपुरुष, सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने बताया कि मांस, मनुष्य का भोजन नहीं है। इसलिए मांस मछली मत खाना। अंडा क्या है? यह माताएं मसिक धर्म से होती हैं। खराब खून इकट्ठा हो जाता है तो बच्चा बन जाता है। मुर्गियों का खराब खून, उनके लैट्रिन-पेशाब का खराब हिस्सा जब इकट्ठा हो जाता है तो वोही अंडा बनता है। मुर्गियों का खराब खून और लैट्रिन-पेशाब का खराब हिस्सा, सोचो गंदा होगा या नहीं होगा? उसका अंडा बना और उसको खाओगे तो क्या बुद्धि सही रहेगी? कभी भी सही नहीं रह सकती। भीष्म पितामह जैसे योगी की बुद्धि अन्न के दोष से, दुर्योधन पापी का अन्न खाने से खराब हो गई तो आपकी बुद्धि कैसे सही रह सकती है?

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बाबा जी ने आगे कहा की, भारत धर्म परायण देश है। भारत कभी विश्व का गुरु हुआ करता था। भारत के दिए हुए हुनर विद्या से आज लोग जी रहे, खा रहे, सूरज चंद्रमा पर जाने के लिए तैयारी कर रहे हैं। वह विद्या भारत देश के लोगों में थी। इस भारत जैसे धर्म परायण देश में बच्चे और बच्चियों के चरित्र का गिरना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण और दुखदाई है। बाबा जी ने कहा की, आगे चलकर के बड़ा तकलीफ देह हो जाएगा। अब क्या होगा, इसको तो मैं अभी नहीं बताना चाहूंगा लेकिन यह बात बताना चाहूंगा की बहुत तकलीफ देह हो जाएगा।

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