धर्म कर्म: निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी जानशीन, स्वामी जी अब डोर हिला कर जिनके पास भेज रहे हैं, जिनके माध्यम से ही अब स्वामी जी अपनी बात कह रहे हैं, और जो स्वामी जी का दर्शन करने कराने की बात बार-बार कह रहे हैं ताकि पक्का विश्वास हो जाए ऐसे इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि धरती का यह विधान है कि एक बार जो मनुष्य शरीर में आया, छोड़ कर के चला गया, वो दुबारा उस शरीर में नहीं आता है।
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तो सतगुरु अपने जाने के बाद अपने अपनाए हुए जीवों की डोर को उपर से ही हिला कर अपने उत्तराधिकारी जानशीन के पास भेज देते हैं, संभाल करते हैं। बाबा जयगुरुदेव, उनके गुरुओं की पीढ़ियां पूरे सन्तों की रही हैं। अंदर के बंधन को संन्त और साधक ही देख सकते हैं। सतगुरु को बाहरी चीजों से मोह नहीं होता हैं। ऐसा कोई काम मत करना, जिससे किसी की जान जाए।