धर्म-कर्म : प्रकृति के नियमों को पूरी तरह से समझाने वाले, सरल शब्दों में उसे समझा कर मनुष्य को कुदरत के नियम न तोड़ने की शिक्षा देने वाले, आगामी कुदरती कहर से बचाने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने अपने संदेश में प्रकृति द्वारा बनाये गए शाकाहारी और मांसाहारी जीवों की कुदरती पहचान बताई।
महाराज जी ने बताया की, मांस मनुष्य का भोजन नहीं है। इसलिए कुदरत के नियमों को मत तोड़ो नहीं तो सजा मिलेगी। बाबा जी ने कहा, मांसाहार जानवरों और शाकाहार मनुष्यों का भोजन है। इसलिए शाकाहारी बनो और दूसरों को भी शकाहारी बनाओ। आप भी सुनिए शाकाहारी और मांसाहारी जीवों में अंतर, स्वयं पूज्य महाराज जी के श्री मुख से।