धर्म कर्म: निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, सृष्टि के सभी गोपनीय भेद और रहस्य जानने वाले, अपने सामने अपने जानशीन को तैयार करने वाले, जिनके अधीन वक़्त का जगाया हुआ नाम है, ऐसे इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज जी ने यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि पेड़ों में एक ही तत्व होता है- पृथ्वी तत्व। मनुष्य शरीर पांच तत्वों का होता है। तो मनुष्य को नहीं मारना काटना चाहिए। उखमज यानी पसीने से पैदा होने वालों में जल और पृथ्वी तत्व होता है। जिनसे अंडे की उत्पत्ति हो वो अंडज होते हैं। इसमें जल, पृथ्वी ,अग्नि तत्व होते हैं। पिंडज वो जिनसे पिंड की उत्पत्ति होती है। सबसे पहले मां के पेट में पिंड ही बनता है। अभी शरीर का सिस्टम कैसे बनाया? कैसे उसको उतारा? कैसे जीवात्मा को बंद किया? जीवात्मा को चार शरीर के अंदर बंद किया। सबसे पहले ऊपर का कारण शरीर रूपी पतला खोल चढ़ाया। पांच तत्वों का वह भी होता है। रूप, रस, गंध ,स्पर्श और शब्द। पांच तत्वों का खोल जीवात्मा के ऊपर चढ़ा दिया। उसके ऊपर एक और खोल, नौ तत्व का और चढ़ाया जिसमें रूप, रस, गंध, स्पर्श, शब्द और मन, चित्त ,अहंकार ,बुद्धि। और उसके ऊपर एक और 17 तत्वों का खोल चढ़ाया जिसमें दसों इंद्रियों, चतु:श अंतकरण और तीन गुण का पर्दा चढ़ा दिया। ये लिंग शरीर कहलाया। फिर जीवात्मा के ऊपर स्थूल शरीर का मोटा पर्दा खोल चढाया। यानी यह पांच तत्वों-जल पृथ्वी अग्नि वायु और आकाश से बने हाड़-मांस के शरीर का।

सन्तों की परंपरा रही है, किसी न किसी को रहते समय ही तैयार कर देते हैं

महाराज जी ने करनाल (हरियाणा) में बताया कि सन्तों की यह परंपरा रही है कि जब दुनिया संसार से जाने लगते हैं तब किसी न किसी को (अपना) अधिकार देकर के जाते हैं। किसी ने किसी को रहते समय ही तैयार कर देते हैं। और फिर उनके लिए घोषणा कर देते हैं। अगर घोषणा नहीं भी करते हैं तो संकेत दे देते हैं और फिर उनकी पहचान कर ली जाती है। आज समय कम है, सुनाने का नहीं है। यूट्यूब पर बहुत से संतसंग पड़े हुए हैं। आपको प्रसंग सुनाया हुआ है कि कैसे मक्खन शाह ने परीक्षा लिया था। आप लोगों को मालूम है, इतिहास आप पढ़ते हो। पंजाब में ही हुए थे। तो पहचान भी कर ली जाती है। तो गुरु महाराज ने मुझ नाचीज को आदेश दिया, आप बहुत से लोगों को मालूम भी है कि यह (परम पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज) नए लोगों को नाम दान देंगे और पुरानों की संभाल करेंगे। पुरानों की संभाल वाली भी बात बताता रहता हूं। खान-पान, चाल-चलन, विचार-भावनाएं सही रखो। दो बात बर्दाश्त कर लो, लड़ाई-झगड़े से बचे रहोगे। एक रोटी का भूख रख करके खाओगे, बीमारी से बचे रहोगे। छोटे बन जाओगे तो सब प्यार करेंगे।*नानक नन्हे होय रहो, जैसे घास में दूब, और घास जल जाएगी, दूब खूब की खूब। देखो, गर्मी में बड़ी-बड़ी घास जल गई और जिस दूब घास पर आप बैठे हो यह समझो हमेशा हरी-भरी रहती है, कभी खत्म नहीं होती है क्योंकि इसकी जड़ बहुत नीचे तक जाती है।

नाम, वक्त गुरु के अधीन हुआ करता है

महाराज जी ने बताया कि वक्त गुरु को खोज, तेरे भले की कहूं। वक्त गुरु ही तेरा काम बनाएंगे। नाम, वक्त गुरु के आधीन हुआ करता है। वक्त के मास्टर, वक्त के डॉक्टर, वक्त के गुरु, वक्त के नाम की जरूरत होती है। यह जब बताया समझाया जाता है, तब जीव को ज्ञान, जानकारी होती है, इच्छा जगती है और उनके पास पहुंचता है तब वह दे देते हैं। और जब विश्वास के साथ करता है तो वही उसके लिए फलदाई हो जाता है। वही उसका लोक और परलोक दोनों बना देता है। जब तक इस दुनिया में रहता है, शरीर से सुखी, धन, पुत्र, परिवार में बढ़ोतरी और मानसिक शांति रहती है और अंत में उसकी जीवात्मा अपने प्रभु के पास, अपने घर पहुंच जाती है, जन्म मरण की पीड़ा से छुटकारा मिल जाता है।

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *