धर्म-कर्म : जीते जी जीवात्मा को उपरी दिव्य लोकों में भ्रमण कराते हुए अपने निज घर सतखंड जयगुरुदेव धाम ले चलने वाले, गोपनीय पांच नाम का नामदान देने के लिए एकमात्र अधिकृत, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने बताया कि, परमात्मा की अंश जीवात्मा है। जीवात्मा ऊपरी लोकों में भी है और यहां मृत्यु लोक में भी है। यहां के सभी जीवों को मिला करके उससे कहीं ज्यादा जीव वहां उपरी लोकों में हैं।
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बाबा जी ने कहा कि, जब आप आंख बंद करोगे, ध्यान लगाओगे, ऊपरी लोकों में जाओगे, स्वर्ग, बैकुंठ, देवलोक, सूर्य-चन्द लोकों में जाओगे, वहां का नजारा दृश्य देखोगे तो देख कर के खुश हो जाओगे, और खुश हो करके दूसरों को बताने लगोगे। लेकिन जैसे ही बताओगे वैसे ही वह दिव्य चीजें दिखनी बंद हो जाएंगी। इसीलिए कोई कितना भी नजदीकी हो, किसी को भी कुछ नहीं बताना है। जिस तरह से जो अपने मुंह में डालता है, स्वाद उसी को मिलता है, उसी के पेट में जाता है, दूसरे को नहीं पता चलता है, ऐसे ही आप को इस आनंद को छुपा के रखना है।