धर्म कर्म: इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने उज्जैन (म.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि पहले के समय लोग धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन करते थे। यदि उपदेशक न मिल पावें तो घर की बूढी बुजुर्ग माताएं ही कुछ न कुछ इतिहास के बारे में, की जो भी त्यौहार मनाया जाता था, जैसे बच्चियां भाई दूज, रक्षाबंधन आदि मानती हैं तो इसके बारे में ही कुछ न कुछ लोग बताते थे। कुछ न कुछ शिक्षा लोगों को मिलती थी लेकिन धीरे-धीरे यह चीजें खत्म होती चली जा रही हैं।
तीन बुराइयों की वजह से हुआ था रावण का खात्मा, रह गयी 3 इच्छाएं अधूरी
रावण भी मां के पेट से पैदा हुआ था। लेकिन वो प्रकृति के नियम के खिलाफ काम करने लग गया था। शराब पीना, मांस खाना, दूसरे की औरत को गलत नजर से देखना- तीन बुराइयां उसके अंदर आ गई थी जिसको आज लोगों को छोड़ना चाहिए। तो जैसे बढ़िया दूध में दो बूंद आप मठ्ठा छाछ डाल दो तो सुबह तक खाने-पीने लायक नहीं रहेगा, रूप बदल जायेगा। उसकी शक्तियां धीरे-धीरे ख़त्म होती गयी, इसी वजह से अपनी 3 इच्छायें पूरी नहीं कर पाया- सोने में सुगंध लाना, स्वर्ग तक सीढ़ी लगाना जिससे उसके राज्य के लोग सशरीर स्वर्ग पहुँच जाए और शराब की बदबू ख़त्म करना।
चाहे स्त्री या पुरुष हो तो आप जिसके अंदर ये बुराइयां हैं यही छोड़ दे
आप लोगों में किसी के अंदर ये बुराइयां हो, चाहे स्त्री या पुरुष हो तो आप इसको छोड़ दो। संकल्प बनाओ कि किसी से हमने वादा किया था, अब से हम बुराइयों से दूर रहेंगे। आज आपको तो बता ही दूंगा, आप जल्दी समझ जाओगे लेकिन जो-जो लोग इन बातों को सुनेंगे, आप जिनको बताओगे, वो अगर नहीं सभलेंगे तो उनका भारी नुकसान होगा। उस नुकसान से ज्यादा, आपका नुकसान होगा अगर आप जानबूझ कर गलती करोगे। अनजान की तो माफी भी हो जाती है लेकिन जान करके जो गलती करता है उसकी माफी नहीं होती। इसलिए मन को उधर से मोड़ दो, अपने अंदर दया धर्म ले आओ।