धर्म कर्म: पूरे सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने उज्जैन में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि मनुष्य शरीर कुछ समय के लिए मिला है। इसको एक दिन सबको खाली कर देना पड़ेगा। देखो, दादाजी, पिताजी इस संसार से चले गए। जिस गाड़ी पर बैठे हो, सच तो यह है कि इस गाड़ी को चला कोई और रहा है। यह दुनिया, यह संसार जिसका है, वह खाली कर लेगा। माया है जगदीश की अपना कहे गंवार, सपने पावे राजधन जात न आवे वार। माया किसको कहते हैं? यही रुपया पैसा धन दौलत, औरत, चमक-दमक की दुनिया, यह माया और माया का पसारा है। माया जगदीश की है। जगदीश किसको कहते हैं? जो जगत का, इस दुनिया का मालिक है, उसकी है माया। गंवार इंसान ही माया को अपना कहता है, कि मेरा है।

जैसे सारे धन, प्रोपर्टी का मालिक भारत सरकार, ऐसे ही शरीर, दुनियां की चीजें सब काल भगवान का, जब चाहें ले ले

जैसे आप कहते हो, मेरा खेत मेरा मकान रुपया पैसा मेरा है। सच पूछो तो यह भारत सरकार का है। जो दिल्ली में बैठते हैं, आपके लिए काम करते हैं, खाने-पहनने की व्यवस्था करते हैं, आपकी रक्षा करवाते हैं, उनका है। जब वह चाहे आपके खेत जमीन को ले सकते हैं। अगर (सरकार के पास) पैसा है तो दे, नहीं पैसा है तो आपको कुछ भी न दे। आपका 100-200 एकड़ का जमीन, ₹1 आपको देकर के ले ले। चाहे तो वह एक रुपया भी न दे। सब भारत सरकार का है। जब कोई योजना आती है या कुछ बनने को होता है तो मकान गिरा देते हैं, सफाई होने लगती है। थोड़ा बहुत दे दिया। आपने करोड़ों रुपए लगाया और केवल 10-20 लाख ही मिले। कहने का मतलब जैसे भारत सरकार की सम्पति को आदमी अपना समझता है इसी तरह यह दुनिया, दुनिया की चीजें, शरीर सब जगत के मालिक, जिनको काल भगवान/ ईश्वर कहा गया, उनका है। जब वह चाहे तब खाली करा ले। जैसे घर जमीन भारत सरकार जब चाहे ले ले। धन में कमी आ जाए तो वह उसको इमरजेंसी लगा करके ले ले। लड़ाई में बहुत खर्चा होता है, सब व्यवस्था बिगड़ जाती है।

देश-विदेश के जो मालिक हो लड़ाइयां को बचाओ

देखो जहां-जहां देश में लड़ाइयां हो रही हैं, कंगाली आ रही है। खाने-पीने की, दवाई की दिक्कत। किसी की जिंदगी सुरक्षित नहीं है। इसीलिए तो हाथ जोड़ा, प्रार्थना की जाती है, अरे देश के जो मालिक हो लड़ाइयां को रोको। प्रेम का वातावरण बनाओ। जितना दिल-दिमाग और रुपया-पैसा लड़ाई में इंसान को मारने में लगाते हो, वही पैसा वही दिल-दिमाग इंसान की रक्षा करने में, रोटी पानी खिलाने में लगाओ, यह तुम्हारा धर्म बनता है, यह राजा का धर्म बनता है।

बादशाह ने बहुत से लोगों को मरवाया कटवाया इसीलिए उसको प्रेत बनने की सजा मिली

इंदौर की बात है। एक आदमी पर भूत सवार था। गुरु महाराज कमरे में थे। आगे वाले कमरे में मैं बैठा था। गुरु महाराज निकले और वो एकदम से दौड़ा। पैर पर गिरा और जोर-जोर से चिल्लाया, कहा मुक्ति दो, मुक्ति दो, दया करो, दया करो। स्वामी जी महाराज भी पीछे हटे, लोग दौड़े। उसे बिठाया, हमने उससे पूछा भाई क्यों परेशान करते हो? तब उसने बताया कि इन्होने हमारा घर ले लिया जिसमें मैं रहता था। बहुत से लोग बढ़िया मकान, बढ़िया कोठी सस्ते में मिल जाती है तो खरीद लेते हैं। लेकिन जिन घरों में ज्यादा दिनों से कोई नहीं रहता है, उसमें यही आत्माएं रहने लगते हैं। जैसे कोई एक कमरे में दिल मिल गया, साथी मिल गए तो एक कमरे में कई लोग रह लेते हैं। इसी तरह से ये सब दोस्ती कर लेते हैं। एक-एक मकान में कई-कई (प्रेत) रहते हैं। फिर वह बोलने लगा कि मैं 600 सिपाहियों का बादशाह था। हमारे पास 600 सिपाही थे। लेकिन हमने बहुत लोगों को उनसे मरवाया। और वो भी बहुत से लोग मरे। मैं अपने कर्मों, जो मैंने किया उसकी सजा भोग रहा हूं। मेरा उद्धार, कल्याण करा दो। मेरे से कहने लगा। आपको समझने की जरूरत है, सजा भोगनी पड़ती है। अपने गलती की सजा तो मिलती है लेकिन जो जिम्मेदार लोग गलती करते हैं, उसकी सजा ज्यादा मिलती है। हिंसा-हत्या से बचना चाहिए।

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