धर्म कर्म: इस युग के महापुरुष जो विनाश को टालने के लिए बराबर समझा रहे हैं, बचने के सरल उपाय भी बता रहे हैं, और बात न मानने पर होने वाले भारी संहार की चेतावनी भी दे रहे हैं, ऐसे पूरे समरथ सन्त सतगुरु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि इस समय विश्व विनाश के कगार पर, बर्बादी हो जाने की तरफ खड़ा हुआ है। दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए जो बारूद इकट्ठा किया, अब वहीं बारुद उसके लिए नुकसान बन रहा है। विस्फोट होने वाले बारूद के ढेर पर कोई खड़ा हो जाए और अगर आग लग जाए तो समझो विनाश, खत्म हो गया। आदमी अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारता चला जा रहा है। दूसरे के लिए कर रहा है कि इनका नुकसान हो, हमारा नाम हो लेकिन अब सब के ऊपर संकट आने लग गया। अब तो यहां न कम रघुवर न कम कन्हैया। कोई किसी से कम नहीं रह गया। देश के विकास, गरीबों के रोजी-रोटी में खर्च करने का पैसा अब गोला-बारूद, बंदूक की गोली बनाने पर खर्च कर रहे हैं।

धीरे-धीरे विनाश अवश्यंभावी हो रहा

देखो कितना समझाया, बताया जाए। जब नहीं मानेंगे फिर तो यह होना ही होना है। कृष्ण ने कौरवों को बहुत समझाया। जब नहीं माने तब महाभारत हुआ ही। कई अक्षौहिणी सेना खत्म हो गई। राम ने रावण को बहुत समझाया। जब उसके समझ में नहीं आता तब- एक लाख पूत सवा लाख नाती, ता रावण घर दिया न बाती। ख़त्म।

शराब और मांस के कारण विश्व बारूद के ढेर पर खड़ा

उनको राक्षस क्यों कहा गया? मनुष्य जैसा काम, व्यवहार नहीं करते थे इसलिए वो राक्षस कहलाए। वो थे तो मनुष्य, आदमी लेकिन उनका खान-पान खराब था। मुर्गा, भैंसा, बकरा सब खा जाते थे। सीधे-सीधे निकल जाते थे, पकाते भी नहीं थे, खा जाते थे। दारु, शराब जो बुद्धि को खराब करता है, उसको पीते थे और जब होश में नहीं रह जाते थे तो अपने-पराए की, मां बहन बेटी की पहचान खत्म हो जाती थी। तो फिर वह भगवान् के बनाये नियम के खिलाफ काम करते थे। इसलिए राक्षस कहलाये। उनके समझ में कहां से आएगा। कहावत है- भैंस के आगे बीन बजाय, भैंस खड़ी पगुराए। भैंस को कोई पता रहता है कि बीन बज रही है या ढोलक। अगर अब (समझाने का) असर नहीं पड़ेगा तो विनाश अवश्यंभावी हो जाएगा, विनाश हो ही जाएगा।

बहुत से देशों में युद्ध की अंदर ही अंदर तैयारी चल रही है

जहां युद्ध चल रहा है और कहां-कहां सब आपस में लड़ रहे हैं। कुछ जगह अंदर ही अंदर तैयारीयां चल रही हैं कि हम उनकी मदद करेंगे, हम इनकी तरफ से लड़ेंगे, यह हमारे गुट के हैं, हमारा नाम हो जाएगा। इस तरह का सब चल रहा है। जहां लड़ाइयां हो गई हैं, दूसरे लोग मदद कर भी रहे हैं। देखो हम और आप आमने-सामने बैठे हैं। बीच में अगर बहुत गहरी नाली, खंदक खोद दी जाए तब आप कहो कि हमको कोई चीज दे दो तो कैसे दे पाओगे? देख रहे हैं एक-दूसरे को, देखते हैं लेकिन मुलाकात नहीं हो सकती। तकलीफ में हो, गिर गए हो, चोट लग गई, परेशानी हो गई लेकिन मदद नहीं हो सकती, ऐसी स्थिति आ जाती है। ऐसे स्थिति न आवे इसके लिए प्रभु से प्रार्थना करना है। इस समय पर जो महसूस कर रहे हो, जितना भी महसूस कर रहे हो, यह समझो कि अच्छा ही समय है। अच्छे समय में अच्छी बातों को सोचो, लोगों को अच्छी बातों को बताओ, उस प्रभु अच्छे को प्राप्त करो इसलिए प्रेमियों यह मनुष्य शरीर मिला है। लाभ और मान क्यों चाहे, पड़ेगा फिर तुझे देना। यह देना पड़ता है। लाभ और मान-सम्मान दोनों चीजें देनी पड़ती हैं।

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