धर्म कर्म: त्योहारों के पीछे छिपे असली मतलब को बताने-समझाने वाले, आदि से अंत तक हर चीज का पूरा भेद जानने वाले, सतलोक आने-जाने वाले, इस समय मनुष्य शरीर मे धरती पर मौजूद पूज्य सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने उज्जैन आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेव यूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि अभी लोग दीपावली की तैयारियां कर रहे हैं। जगह-जगह पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति लोग खरीद रहे हैं, स्थापना, पूजा करेंगे, लक्ष्मी को खुश करेंगे। कहेंगे इससे लक्ष्मी हमारे घर में आएंगी, रुपया पैसा रुपया धन दौलत बढ़ेगा। तरह-तरह से दीपावली का कार्यक्रम लोग अपने घरों में मनाएंगे।

विश्वास से लक्ष्मी, उनके मालिक और सबके पिता सतपुरुष को खुश कर सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है

लेकिन असली त्यौहार मनाने के लिए आपके अंदर प्रेरणा हुई और आप यहां पर आए बाकी तो अधिकतर लोगों का नकला हिसाब रहेगा। नकली किसको कहते हैं? जिसकी कोई कीमत न हो। जैसे नकली नोट, नकली सोना, हीरा-मोती लोग बनाते हैं लेकिन उसकी कोई कीमत नहीं होती। यह खेल सब दिखावे का है। लेकिन आप ऐसी जगह पर आए हो आपको असली चीज मिलने का अवसर है। आप यहां लक्ष्मी और लक्ष्मी के मालिक को भी आप खुश कर सकते हो और उनके जो पिता है सतपुरुष, जो हमारे-आपके पिता हैं, उनको भी आप प्राप्त कर सकते हो लेकिन विश्वास होना चाहिए। जब विश्वास हो जाता है तब तो काम बनता है और अविश्वास में, अधाधुन्ध में आदमी सफल नहीं हो पाता है।

गुरु ढूंढकर सबको देने वाले को खुश कर लो

लोग किस से धन दौलत मांगेंगे? प्लास्टिक की मूर्तियों से, मिट्टी-पत्थर से, ऐसे लक्ष्मी-गणेश को खुश करेंगे। कहते हैं न गणेश जी खुश हो जाते हैं तो उनके साथ रहने वाली रिद्धि-सिद्धि भंडार भर देती हैं, किसी चीज की कमी नहीं पड़ती। कार्तिक की अमावस्या में ऐसा मुहूर्त होता है कि इनको जब खुश कर लेते हैं तो घर में कोई कमी नहीं रहती। लेकिन वो तरीका लोगों को नहीं पता।बस ऐसे ही पटाखा फोड़ने, मिठाई बनाने-खाने में त्यौहार को लोग मना लेते हैं। लेकिन जब जानकारी हो जाती है, जो सबको देता है उसको अगर प्राप्त कर लिया जाए, उसको खुश कर लिया जाए, उससे कुछ मांग लिया जाए तो सब कुछ मिल जाता है। इसलिए जानकार पूरे सन्त सतगुरु के पास जाना चाहिए।

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