धर्म कर्म: पिछले गलत कर्मों की मिल रही सजा से बचने के लिए कर्मों को ही कटवाने का उपाय बताने वाले, हुकुमत अच्छी चलाने का मंत्र देने वाले, दुखहर्ता, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने इंदौर आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित लाइव सन्देश में बताया कि इस समय तो आपके और हमारे उपर भी, गुरु की ऐसी दया हो रही है कि अच्छे काम में जहां भी हाथ डालोगे, वहीं कामयाबी मिल जाएगी। अच्छे काम को करने की एक तरह से दया गुरु की हो रही है।

साप्तहिक सतसंग में बैठकर साधना करने से कर्म कटते है

महाराज जी ने उज्जैन आश्रम में बताया कि साथ का असर होता है। जिसका साथ करोगे वैसा ही गुण वो देगा इसलिए सतसंगियों को सतसंगियों का ही साथ करना चाहिए। देखो! हम ये देख रहे हैं, अब इधर कुछ दिनों से जब भजन ध्यान सुमिरन पर ज्यादा जोर दिया गया, जब जगह-जगह जोर दिया गया कि हफ्ते में एक दिन, दो दिन, 15 दिन में एक दिन तो जरूर नये-पुराने सब सतसंगी इकट्ठा होकर के ध्यान भजन किया करें, नाम ध्वनि बोला करें, प्रार्थना बोला करें, साप्ताहिक कार्यक्रम किया करें। त्रयोदशी (मासिक भंडारा) और पूर्णिमा को एक जगह इकट्ठा होकर के कार्यक्रम किया करें और जहां-जहां ये लागू हुआ है वहां लोगों के ऊपर उसका प्रभाव पड़ा। तो 1 घंटे का, 2 घंटे का जो भी ध्यान भजन का कार्यक्रम आप करते हो प्रेमियों, उसमें जो भी आते हैं, उतनी देर तो बैठते ही बैठते हैं। और जब बैठते हैं, उनके कर्म कटते हैं, जो भी सुमिरन, ध्यान, भजन करते हैं, जान-अनजान में उनके शरीर के द्वारा बने हुए कर्म जब जलते हैं, तो (अंदर साधना का) रास्ता साफ हो जाता है। मैं देख रहा हूं, गुरु की दया इतनी हो रही है, उस प्रभु की दया इतनी हो रही है कि अब ये चिट्ठियां इस तरह की भी आने लग गई कि हमारे भजन में इस तरह की बाधा आ रही है, हमको बहुत दिनों से यही इसी तरह की मिलौनी आवाज सुनाई पड़ रही है, ये कैसे छटेगी, ये कैसे होगा क्या होगा? तो ये तो जब नामदान दिया जाएगा तब बता दिया जाएगा। आज भी एक चिट्ठी आई है कल-परसों में जब भी गुरु की मौज हुई, नामदान होगा तो उसमें समझा दिया जाएगा। कहने का मतलब ये है कि अब लोग (साधना) करने लग गए, साथ का असर हो गया।

मंत्री का अच्छा रहना क्यों जरूरी है?

मंत्री जब अच्छा, चरित्रवान, ईमानदार, बुद्धिमान, शाकाहारी, नशा मुक्त रहता है तब वो राज्य, वो देश तरक्की करता है। उसमें कामयाबी मिलती है। इसी समय आप भारत देश में ही देख लो। जो शाकाहारी लोग हुकूमत में है, उनकी हुकुमत अच्छी चल रही है। क्यों? उनके अंदर सूझबूझ, मानवता रहती है। मानवता रहने पर उनको ज्ञान रहता है। और जो शराब, गांजा, अफीम, कोकीन के नशे में हो गया उसको कुछ ज्ञान रहेगा? कोई ज्ञान नहीं रहेगा। उसको तो अपने शरीर का भी ज्ञान, भान नहीं है तो समझो कि वो कैसे व्यवस्था को सही कर पाएगा।

गुरु महाराज ने धरती पर ऐसा काम किया जिससे उऋण नहीं हुआ जा सकता है

महाराज ने प्रातः जयपुर (राजस्थान) में बताया कि गुरु महाराज ने देवताओं को खुश किया और फिर इतनी बरसात हुई, इतना चावल, गन्ना पैदा होने लग गया कि समस्या ही खत्म हो गई। जो भी गुरु महाराज ने जनहित जीवहित का काम किया, ऐसा काम गुरु महाराज ने इस धरती पर किया जिससे उद्धार, उऋण नहीं हुआ जा सकता है। इसीलिए कहा गया सन्तों की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार, लोचन अंनत उघाड़िया, अनंत दिखावन हार। सन्तों की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है। कबीर साहब ने कहा है- धरती सब कागज करूं लेखनी सब वन राय, सात समुद्र मसि करूं, गुरु गुण लिखा न जाए। धरती को कागज, सभी पेड़ों की कलम, सात समुद्र में स्याही घोल दी जाए लेकिन तब भी गुरु की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है। गुरु का इतना महत्व है की शब्द नहीं है, उनके महत्व को बताने के लिए।

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