धर्म कर्म: निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, आसान तरीके से घर में सुख शान्ति लाने का उपाय बताने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने जयपुर (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि एक बार तो बड़ी निराशा हुई। गुरु महाराज के जाने के बाद जीवन में एक ऐसा अंधेरा तूफान आया कि जैसे कहते हैं कमर टूट गई, सहारा छूट गया। जैसे नाबालिक लड़के के माता-पिता चले जाए तो उसको निराशा होती है, जीवन में अंधकार दिखाई पड़ता है, ऐसा ही हुआ था। लेकिन जाको राखे साइयां, मार सके न कोई। कोई किसी को मार सकता है? गोस्वामी जी महाराज ने कहा वह प्रभु जैसा कराता है वैसा होता है। वही कराता है। आप जैसे बहुत से पुराने सतसंगी मिल गए। आप मिल गए तो परिवार, गुरु का सहारा मिल गया और आशा बन गई और दोनों काम करने में लगा हुआ हूं। देश-विदेश में, देश के कोने-कोने में जाना, गुरु के आदेश के पालन में लगा हुआ हूं। 74 साल की उम्र हो गई। इस समय तो 60 साल की उम्र के बाद ही चौथापन आ जाता है। चौथापन हो गया, उसमें भी 14 साल निकल गया। शरीर इतना काम नहीं करता है, लेकिन हिम्मत में कमी नहीं है।
घर में शान्ति सुकून के लिए ये नियम बनाओ
बच्चियों भोजन को प्रसाद बना कर के खाओ, खिलाओ। जब भोजन बन जाए तब आप जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोलो फिर खाना खाना, खिलाना शुरू करो। आप बच्चों के लिए बहुत मेहनत करते हो और उनसे बहुत उम्मीद रखते हो कि यह पढ़-लिख ले जाएंगे, हमारा नाम बढ़ाएंगे, कुल खानदान का नाम ऊँचा करेंगे, बुढ़ापे में दो रोटी कमा करके लाएंगे, खिलाएंगे यानी बहुत उम्मीद रखते हो। और अगर बच्चे नालायक निकल गए तो क्या फायदा मिलेगा आपको? इसलिए जैसे आप छोटे बच्चे को जगाते, सिखाते हो कि जाओ टट्टी मैदान हो आवो, हाँथ-मुह धो लो, फिर नाश्ता कर, भोजन खा लो फिर स्कूल जाओ, फिर काम पर जाओ, ऐसे ही यह भी बच्चों को सिखा दो कि तुम गुरु जी की फोटो के सामने खड़े होकर जयगुरुदेव नाम ध्वनि बोलो फिर प्रणाम करो। बच्चे को सिखा दो कि जो तुमको कुछ पैसा खाने-पीने के लिए मिलता है, उसमें से इसमें कुछ डाल दो तो उनकी देने की आदत पड़ जाएगी, नहीं तो लोभी ही रहेगा। हमेशा माँगता ही रहता है मम्मी-पापा-भाई पैसा दे दो। तो आप बच्चों को देना भी सिखा सकते हो। आदमी परोपकार कुछ करता है तो देता है, सेवा करता है, श्रम करता है। और जो हमेशा सेवा कराता रहेगा, माँगता रहेगा, वह क्या समझेगा परोपकार क्या चीज होती है? फिर आप उसको भोजन कराओ। ऐसा नियम बना दोगे तो आप देखोगे आपके घर में कितनी शांति, कितना सुकून महसूस होगा, करके देखलो।