धर्म कर्म: बड़े स्तर पर होने वाले विनाश से दुनिया को बचाने के लिए तरह-तरह से समझाने वाले, आसान उपाय बताने वाले, पूरे सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने संदेश में बताया कि जब सन्त आये तो उन्होंने आंखों के नीचे की साधना खत्म कर दी गई क्योंकि इसमें बड़ा समय लगता था। दसियों हजार साल की उम्र लोगों की निकल जाती थी। सन्त जब आए तो उन्होंने बताया- आंखी मध्य पाखी चमके, पाखी मध्यय द्वारा, ते द्वारे दूरबीन लगावे, उतरे भवजल पारा। जो इस इल्म के जानकार हो गए, उन्होंने भी यही कहा की- अल्लाह अल्लाह का मजा मुर्शिद के महखाने में है। दोनों आलम की हकीकत एक पैमाने में है। न खुदा मंदिर में देखा न खुदा मस्जिद में है। शेख जिरिंदों से पूछो दिल के आशियाने में है। सन्तों ने बताया- ज्यों तिलमाही तेल है, ज्यों चकमक में आग, तेरा साई तुझमें जान सके सो जान। यह सब क्यों कहां उन्होंने, जब देखा- कस्तूरी कुंडल बसे मृग ढूंढे वन माहि, ऐसे घट-घट राम है, दुनिया देखत नाय। पहले जब देखा है, कोई चीज उसको अपना लेता है और अनुभव हो जाता है फिर जब बताता है फिर जब कराता है तब उस पर लोगों को विश्वास हो जाता है।
संसार बारूद के ढेर पर है खड़ा, बुद्धि ख़राब होने पर हो जायेंगे देश के देश खत्म
कबीर साहब ने भजन-इबादत का जो रास्ता बताया, उसे दोनों ने अपनाया। धीरे-धीरे यह व्यवस्था बिगड़ती गई। आज तो धर्म, एरिया, भाषा, बंटवारे के नाम पर बिखराव हो रहा है, लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे बनते चले जा रहे हैं। सच पूछो तो इस वक्त पर पूरा संसार बारूद के ढेर पर खड़ा हुआ है। कभी भी आग लग जाए और खत्म, ध्वस्त हो जाए। सब कहते हैं कि अपने बचाव के लिए हथियार बना रहे हैं लेकिन किसी दिन बुद्धि खराब हुई तो वही बचाव सबका जानलेवा हो जाएगा। वही हथियार जो एक देश के पास है, उसी को उसने चलाया, वह अगर पहले चला दिया तो मौका ही नहीं मिलेगा, देश का देश खत्म हो जाएगा। विश्व विनाश के कगार पर जो खड़ा हुआ है, सब यही कारण बनता चला जा रहा है।
महात्माओं का क्या काम होता है
नानक जी ने भी लोगों को समझाया। महात्माओं का काम क्या होता है? लोगों को समझाना, सही रास्ता बताना, सही रास्ते पर चलाना। आज जिनका जन्मदिन है, कबीर साहब के प्रथम शिष्य, नानक साहब का। प्रथम शिष्य उन्हीं को कहा जाता है जिनको अधिकार देते हैं। क्या अधिकार देते हैं? नामदान देने का और अपना काम संभालने का अधिकार देते हैं। वही एक तरह से सन्त के प्रथम शिष्य होते है।
जिस गांव में एक भी धार्मिक व्यक्ति न हो, वो गांव हो जायेगा ख़त्म
अगर अधर्म बढ़ जाए तो धर्म खत्म हो जाएगा। धर्म खत्म हो जाएगा तो हर चीज खत्म हो जाएगी। कोई चीज धरती पर है तो धर्म की वजह से ही है। गुरु महाराज कहा करते थे कि हर गांव में कोई न कोई एक धार्मिक व्यक्ति रहेगा। जिस गांव में एक भी व्यक्ति धार्मिक नहीं रह जाता है, वह गांव धंस जाता है या जल जाता है, जलकर राख हो जाता है। यह भारत देश धर्म परायण देश है। यहां कोई न कोई तो रहेगा, आएगा ही इसलिए वह (सन्त) आते रहते हैं।