धर्म कर्म: सबके पिता सतपुरुष द्वारा अपनी ताकत देकर धरती पर भेजे गए इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि भगवान ने जाति-पाति को नहीं बनाया। उन्होंने तो इंसान आदमी बनाया। यह तो आदमी ने बना लिया। जो प्रभु ने बनाया है, उस सिद्धांत के अनुसार अगर आप चलेंगे तो सुखी रहेंगे। तो ब्रह्म में विचरण करो। ब्रह्मचारी उसको कहते हैं जो बह्म में विचरण करने वाला होगा। वही सतयुग का आनंद ले सकता है, सतयुग को ला सकता है। इसीलिए हाथ जोड़कर के प्रार्थना करता हूं कि मानव शरीर रूपी मंदिर को गंदा मत करो। (मांसाहार करके) खून को बेमेल मत करो। बीमारियां आ जाएगी, कुछ नहीं कर पाओगे। मानव मंदिर गंदा हो जाएगा तब चाहे हनुमान चालीसा पढ़ो, चाहे दुर्गा का पाठ पढ़ो, चाहे कोई भी इबादत नमाज अदा करो, कबूल नहीं होगा। मंदिर, मस्जिद को साफ़ सुथरा रहता है तब पूजा इबादत करते हैं वहां। तो इसको भी साफ रखो।

कैसे जीवात्माएं सतलोक से यहां नीचे मृत्युलोक में आई, फंसी

महाराज जी ने बताया कि काल कि तपस्या से प्रसन्न होकर सतपुरुष ने काल भगवान को मसाला तो दे दिया था लेकिन जान/गति लाने का मसाला उनके (काल के) पास नहीं था। तब उन्होंने कहा अब जीवात्माओं को दीजिए ताकि हमारी यह व्यवस्था बन जाए। तो जैसे देश में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड का क्षेत्र ज्यादा ऊंचाई पर है और जयपुर आपका नीचे है, ऐसे ही सतलोक के निचले स्तर में जो जीवात्मायें थी, जैसे कोई नया जिला बनता है तो दूर के नहीं बल्कि आस-पास के टच करते क्षेत्रों को उसमें जोड़ देते हैं। ऐसे ही निचले स्तर (पर मौजूद) की जो जीवात्मा को इनको (काल को) दे दिया। वहां (सतलोक) से सब दिखाई पड़ता है और यहां (नीचे) से वह नहीं देखे जा सकते हैं। तो जब जीवात्माओं ने देखा कि हमको नीचे उतारा जा रहा है तो बहुत प्रार्थना किया की मत भेजिए। कहाँ कौनसा कसूर मेरे से हुआ कि आप हमको अपने से अलग कर रहे हैं। तब वह कहते हैं, नहीं मौज (आदेश) के अनुसार तुमको जाना है। जीवात्माओं को बड़ा होश रहता है। निकल पाना बड़ा मुश्किल होगा। आप जालिम के हाथ में हमको दे रहे हैं। जल्लाद है यह। हमको निकलने नहीं देंगे। बोले हम विश्वास दिलाते हैं, तुम घबराओ मत, हम तुमको निकालेंगे। तो वादा तो निभाते हैं। वह एक बार तो व्यवस्था (मसाला) मांगा। फिर दोबारा बहुत दिन तक तपस्या किया, फिर उसके बाद दर्शन नहीं हुआ लेकिन आवाज पहुंची तो कहा, ठीक है, हम तुमको देते हैं। जैसे कहते हैं कि भाई तुम्हारा घर हम बनवा देंगे। अब घर बनवा दिया तो वह कहता है कि शौचालय, रसोई भी बनवा दीजिए। अरे जब अच्छा कमरा बनवा दिया तो वो भी बनवा देता हूं। उन्होंने कहा ठीक है। सतपुरुष ने अपनी अंश जीवात्मा से कहा कि निकालने का रास्ता मैं रखूंगा। ऐसा मसाला दिया कि काल वह सुराख बंद नहीं कर पाया, जिससे जीवात्मा (मनुष्य शरीर में) डाली जाती है। अब अगर डाली न जाए तो यह शरीर चलेगा कैसे? तो वह जीवात्मा को इसमें बंद नहीं कर सकता है। बंद करने का मसाला है ही नहीं उसके पास। नहीं तो निकलने का कोई चांस ही नहीं था।

प्रभु की अंश जीवात्मा अब कैसे यहां से निकल कर वापस प्रभु के पास जाएँगी

अब उस (सुराख) को उन्होंने खाली रखा, कहा कि (सन्तों को) भेजेंगे और उनको (जीवात्माओं को) याद दिलाएंगे और इनको लाएंगे, ऐसे सन्त सतगुरु को मैं भेजूंगा। तब उस (काल) ने कहा जैसी आप की मर्जी। उसको तो मैं काट नहीं सकता हूं। लेकिन यह आप हमको और वरदान दीजिए कि सन्त अपने साथ में किसी को (वापस सतलोक) लाएंगे नहीं, कोई भी जंत्र तंत्र मंत्र की विद्या का प्रयोग वो नहीं करेंगे, कोई भी चमत्कार नहीं दिखाएंगे। युक्ति उपाय बता करके, उन्हीं (जीवों) के द्वारा मेहनत करा करके, आपके पास जीवों को लाएंगे। बोले एवमस्तु, ठीक है, दे दिया, जाओ। फिर कहा, अभी नहीं, और वरदान मांगा कि पिछले जन्म का किसी को याद न रहे। पिछला जन्म अगर याद करा दिया जाए तो समझो चैन से रोटी नहीं खा सकते हो। बैठ नहीं सकते हो। बाप, बेटे, पति का मरना अगर बराबर याद रहे आदमी को, दिन में कोई घटना घट गई और अगर वो सोने के बाद भी, सुबह वही बराबर याद रहे जो दिन भर याद करता रहा तो नींद ही नहीं आएगी। ऐसे काल ने भूल और भ्रम का एक पर्दा डाल दिया। (इससे केवल वक़्त के समरथ सन्त सतगुरु ही उबार सकते हैं और अपने निज घर सतलोक, जयगुरुदेव लोक ले जा सकते हैं, दूसरा कोई उपाय है ही नहीं, फंसे रहोगे, इधर-उधर भरमते रहोगे, जीवन का समय व्यर्थ चला जायेगा।

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