धर्म-कर्म : आगामी तकलीफों से पहले ही चेताने वाले, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकांत जी महाराज ने अपने संदेश में कहा कि, सतसंग का सुख स्वर्ग बैकुंठ से भी ज्यादा बताया गया है लेकिन कब? जब सतसंग के वचनों को सुना जाए, पकड़ा जाए और अमल किया जाए। यह समझा जाए की भाई-भाई का प्रेम क्या होता है, पिता-पुत्र का फर्ज क्या होता है? पति-पत्नी का कर्तव्य क्या होता है, आदि इन बातों को समझा जाए की प्रकृति के नियम के खिलाफ काम मत करो।

प्रकृति किसे कहते हैं और इसका नियम क्या है:-

यह धरती, आसमान, हवा, पानी, पेड़, पौधे, जानवर आदि को जिसने बनाया, वही है प्रकृति। प्रकृति और पुरुष, यही दो शुरू में हुए थे। इनका नियम है जिनको तोड़ा न जाए। जैसे पेड़ लगाया जाए, काटा न जाए। जानवर पाला गया, उसको मारा न जाए, उसका उपयोग किया जाए। बकरी पालते हो तो बकरी का दूध पियो, मरे तो अपनी मौत मर जाए, काट करके न खाओ, न बेचो कि। यह क्या है? प्रकृति का नियम है। इसके नियम को तोड़ा न जाए।

धरती कैसे गन्दी हो रही है:-

जैसे आप साफ सुथरा रहना पसंद करते हो ठीक उसी तरह धरती भी साफ-सुथरा रहना पसंद करती है। जब इस धरती पर खून बहता है, चाहे जिसका खून बहे, जब हड्डी मांस डाला जाता है, कुछ समय में इसमें घुल जाता है, तब धरती गंदी होती है। इसी धरती पर देखो, दूध अक्षत फूल पत्ती चढ़ाते हैं, इसी पर मुर्गा बकरा लोग काट करके चढ़ा देते हैं। धरती को साफ सुथरा रखा जाए तब धरती खुश रहती है।

हवा कैसे गन्दी हो रही है:-

आज हवा दूषित होती चली जा रही है। हवा कब शुद्ध मिलेगा? जब हवा में गंदगी नहीं रहेगी। जैसे बकरा काटा गया, उसका बहा खून, खाल हड्डियां खुले में पड़ी हुई है, जो हवा उसमें से टकराएगी उसमें भी बदबू आ जाएगी, वह भी गंदी हो जाएगी। आप देखते हो, कुत्ता मरा पड़ा रहता है, सड़ने लगता, कोई फेकता नहीं है तो उधर से निकलना मुश्किल हो जाता है, उस जगह पर हवा दूषित हो जाती है। इसलिए इसको साफ सुथरा रखा जाए। नहो तो कुछ समय के बाद हवा से ऑक्सीजन मिलना लोगों को बंद हो जाएगा। दम घुट करके लोग मरेंगे। इसलिए इस चीज़ को लोगों जो समझने कि जरूरत है कि प्रकृति को छेड़ा न जाए, प्रकृति के नियम का पालन किया जाए।

जल कैसे गंदा हो रहा है:-

जल क्यों गंदा हो जाता है? जमीन पर पड़ी हुई गंदगी बारिश के समय पानी में मिल गई। पानी में मिल करके नदी में चली गई। जिससे पानी गंदा हो गया। प्रकृति को साफ सुथरा रखना चाहिए, यह है सतसंग की शिक्षा। इन्हे साफ रखोगे तो जीवन सरल और सुखमय हो जाएगा। इसके अलावा आत्मा-परमात्मा को जानना और अपना आत्म कल्याण करना भी सतसंग की शिक्षा है।

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