धर्म कर्म: आने अपनाए हुए जीवों की पूरी जिम्मेदारी लेने वाले, उनको पार करके ही दम लेने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज जी ने जयपुर (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि आपको ध्वन्यात्मक नाम बताऊंगा। वर्णात्मक नाम (जयगुरुदेव) तो आपको बहुत बार बताया कि जयगुरुदेव नाम गुरु महाराज का जगाया हुआ नाम है। इसमें उसी तरह की शक्ति है जैसे त्रेता में राम नाम में, द्वापर में कृष्ण नाम में शक्ति थी और इस समय जयगुरुदेव नाम में शक्ति है। जैसे कुछ समय पहले राधास्वामी, वाहेगुरु, सतसाहब नाम में शक्ति थी। ऐसी शक्ति है कि मुसीबत तकलीफ में कहीं भी बोल कर के अपनी जान-माल की रक्षा कर सकते हो। एक घंटा सुबह-शाम पूरा परिवार इकट्ठा होकर जयगुरुदेव नाम की ध्वनि को बोलने से तकलीफें दूर होती है। बहुत से लोग मेरे कहने पर बोलने लग गए। बताएंगे आपको, इसी (आई हुई भक्तों की भारी भीड़) में मिल जाएंगे। हर तरह की तकलीफ में कमी आती हुई नजर आ रही है। लगातार कुछ समय से जो कर रहे हैं उनकी बहुत दुख-तकलीफ दूर हो रही है। थोड़ी बहुत तो लगी रहेगी। गुरु महाराज भी कहते थे कि नहीं रहेगी तो (सतसंग में) आओगे ही नहीं। जिनकी तकलीफें, खाने पहनने आदि के लिए जो आए थे कि ये सब हो जाए, वह सब हो गया फिर फंस गए। अब कहां फुर्सत है? दुकान बंद हो जाएगी, आमदनी कम हो जाएगी, यह काम बिगड़ जाएगा, वह काम बिगड़ जाएगा। भूल गए उसको, जो पैदा होने के पहले मां के स्तन में दूध भर देता है, जो परवरिश करता है, उसको भूल गए हो। तो भूलने न पाओ इसलिए थोड़ा बहुत लगा रहेगा ताकि आत्मा का काम आपका हो जाए।

सेवा और भजन से कर्म नहीं काटोगे तो गरीब घर में जन्म मिलेगा

महाराज जी ने जयपुर (राजस्थान) में बताया कि इसमें (आई हुई भारी भीड़ में) पढ़े-लिखे और धनी-मानी लोग भी आप बैठे हुए हो। लेकिन इस चीज को आप याद कर लो। अगर भजन नहीं करोगे, सेवा के द्वारा कर्मों को नहीं काटोगे, गुरु की दया नहीं ले पाओगे तो गरीब घर में जन्म दिला देंगे। पूरे सन्त सतगुरु काल के हाथ से जीव को अपने हाथ में लेते हैं तब डोर को छोड़ते नहीं है। जैसे हमारे गुरु महाराज थे, जिनके लिए कहा गया- हम आए वाही देश से जहाँ तुम्हारो धाम, तुमको घर पहुंचाना, एक हमारो काम। सन्तों का एक लक्ष्य, एक उद्देश्य होता है कि तुमको, तुम्हारे घर पहुंचा दे। तो फिर छोड़ते नहीं है। चाहे (पार करने में) चार जन्म लग जाए। प्रथम जन्म गुरु भक्ति कर, दूसरे जन्म में नाम, तीसरे जन्म में मुक्ति पद, चौथे में निजधाम। चार-चार जन्म दिला कर के पार किए हैं। हालांकि गुरु महाराज ने तो दया किया, इस तरह से कहा कि तुम थोड़ी सी मेहनत कर लो, हम तुम्हारे लिए ज्यादा मेहनत कर लेंगे। इसी जन्म में तुम पार हो जाओगे। फिर इस दु:ख के संसार में तुमको आना नहीं रहेगा। यह बात अगर आप भूल जाओगे, जो भी गुरु महाराज के नामदानी हो, चाहे नये ही नामदानी आप क्यों न हो, आप इस बात को भूल जाओगे तो दोबारा तुमको गरीब घर में जन्म लेना पड़ेगा।

अगर असावधानी से अकाल मृत्यु हो गयी तब भी पीड़ा झेलनी पड़ती है

अब यह भी आपको बता दें, अगर कहीं बीच में असावधानी हुई और अकाल मृत्यु हो गई तो भी तकलीफ होगी। अकाल मृत्यु किसको कहते हैं? बगैर आये हुये मृत्यु आ जाती है। (समझाने के लिए) बात बताई जाती है। जैसे गड्ढा आगे है तो गिर जाओगे। आग जल रही है, उधर जाओगे तो जल जाओगे। पानी बह रहा है उसमें अगर, जमीन जायदाद रुपए पैसा के मोह माया में फंस गये, बाढ़ आई। और भी उदाहरण है। नाम बता सकता हूँ, एक आदमी था। नौकरी से आया। लोगों ने कहा पानी बहुत ज्यादा है, मत जाओ। हट्टा कट्टा पहलवान था। बोला कुछ नहीं होगा, हम तैर करके पहुंच जाएंगे। हमारे बच्चे। गया और बीच में ही थक गया। बहाव तेज था और उसी में बह करके खत्म हो गया, मर गया। इस तरह से होगा तब वो अकाल मृत्यु होगी। कहा जाता है, रात की यात्रा अच्छी नहीं होती है। रात को दुर्घटनाएं होती है। रात को नहीं चलना चाहिए। नहीं मानोगे और ऐसी कोई घटना घट गई तो फिर तो बड़ी दिक्कत हो जाएगी। यह जरूर है सन्त जिस जीव को पकड़ते हैं, उनको नर्क में नहीं जाने देते हैं। लेकिन किसी न किसी लोक में रहना ही पड़ता है। (आपकी सुरत को) देवलोक में भी उन्होंने छोड़ दिया तो (देवताओं को) बराबर चिंता-फिक्र बनी रहती है कि हमको नौ महीने मां के पेट मे लटकना और पेट की गर्मी से तपना पड़ेगा। मां जो पेशाब करेगी खारा होता है, जो वह जो एसिड होती है वह हमको जलाएगी ही, उसकी बदबू हमारी नाक में आएगी ही। वह जो मल त्याग करेगी उस की बदबू हमारे मुंह में आएगी ही। इसकी चिंता उनको बराबर लगी रहती है। प्रेमियों! बस एक बात क्यों नहीं पकड़ते हो कि अब इसी जन्म में पार हो जाए तो दुबारा दु:ख तकलीफ न झेलनी पड़े।

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