धर्म कर्म: इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज जी ने औरंगाबाद (बिहार) में दिए जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि शरीर के सभी अंग उपयोगी हैं, अच्छा काम करने के लिए हैं। इनसे बुरा काम मत करो। इनको गंदा मत करो। जैसे बाहर से माता-पिता, परिवार के लोग बताते हैं कि कपड़ा धो लो, नहा लो, मैल जमा न होने पावे नहीं तो दाद खाद खुजली बदन में हो जाएगी, ऐसे ही गुरु महाराज ने समझाया कि अपने अंतःकरण को साफ रखो। जितने भी फकीर महात्मा धरती पर हुए, सब लोगों ने समझाया कि यह मानव शरीर मंदिर है, जिस्मानी मस्जिद है। इसको गंदा मत करो। इसे खुदा ने इबादत के लिए दिया है। हुजरे को साफ रखो। फकीर ने कहा है-
अल्लाह अल्लाह का मजा मुर्शीद के मयखाने में है।
दोनों आलम की हकीकत एक पैमाने में है।।
न खुदा मंदिर में देखा न खुदा मस्जिद में है।
ऐ शेख जिरिंदों से पूछो दिल के आशियाने में है।।
वह मालिक है तो दिखाई क्यों नहीं पड़ता है? कैसे दिखेगा? दिल का हुजरा (स्थान) साफ कर, जाना के आने के लिए। यानी अंदर की जो गंदगी है उसको साफ कर। ध्यान गैरों का हटा, उसको बिठाने के लिए। सतसंगियों ध्यान दो, उस मालिक को अपने अंदर में बैठाने के लिए अपने ध्यान को दुनिया की तरफ से हटाओ। मन तो एक ही है, जहां लगाओगे वहीं लगेगा तो दुनिया की तरफ से मन को हटाओ। जिसका ध्यान लगा रहे हो, उसी का ध्यान करो। इधर-उधर फिर अंदर में मत देखो। तो हुजरे को साफ रखना जरूरी है। मानव मंदिर को जब पाक साफ रखोगे तब पहले जैसी शक्तियां प्रकट हो सकती है। जब से लोग मुर्दा मांस खाने लगे तब से कितना भी पूजा-पाठ करते हैं लेकिन कबूल नहीं होता। जो भी खाया उसी से तो खून बनता है। बेमेल खून से दूषित हुए शरीर के अंगों से की गयी पूजा नमाज कबूल नहीं होती।

पापी खून लोगों का कैसे हो गया

जो जानवरों को मारता, काटता, लाता, पकाता, खाता, खिलाता है, सबको पाप लगता है। सब पापी होते हैं। जो पाप किया उसी का खून है तो उससे वह मालिक खुश होंगे? वो तो कहते हैं पाप से डरो, पाप से दूर रहो, पुण्य आत्मा बनो, पुण्य इकट्ठा करो। यह तो सारी धार्मिक किताबों में चाहे वेद पुराण, बाइबल, कुरान कोई भी हो, सब में लिखा है। बिस्मिल्लाह ए रहमान ए रहीम कहा गया। मालिक रहमान है। यदि उसकी दी हुई जिस्मानी मस्जिद को गंदा करोगे, उसके बनाई रूह को गिजा करोगे, जीवों को काटोगे मारोगे तो कहा गया है- जो गल काटे और का, अपना रहा कटाय। साहब के दरबार में, बदला कहीं न जाय।। बदला देना पड़ेगा। बेजुबान जानवर, जो मदद नहीं मांग सकता, अपनी रक्षा आपसे नहीं कर सकता, उसका गला काटोगे तो सजा भोगनी पड़ जाएगी। सब जगह यही लिखा हुआ है।

हजरत मोहम्मद साहब का पैगाम लोगों के लिए

कुल मिलाकर के गुरु महाराज ने समझाया कि भाई इस शरीर को गंदा मत करो। मांस मछली अंडा मत खाओ। इसमें जीव होता है। जीव हत्या बहुत बड़ा पाप होता है। दया धर्म तन बसे शरीरा, जीवों के ऊपर दया करो, रहम करो। हजरत मोहम्मद साहब ने भी कहा था, किसी जीव को सजा मत दो। यह उनका उपदेश था। तकरीर में उन्होंने कहा था। यह उनका इल्म था इंसान के लिए सुखी रहने का। उन्होंने कहा, खजूर तुम्हारे लिए बना दिया, पानी बना दिया, बहुत सी चीजों को बना दिया। जब उपदेश करते थे तो बताते थे, कहते थे, कुदरत का जो यह बगीचा है, इसको तोड़ो मत, पेड़ पौधों को भी छेड़ने के लिए मना किया था। मुख्य बात आप यह समझो कि इस मनुष्य शरीर को गंदा मत करो। जैसे बाहर से सफाई रखते हो, अंदर भी सफाई होनी चाहिए। मांस मछली अंडे के लिए गुरु महाराज ने मना किया। हम भी यही कहते हैं। ऐसे विनाशकारी नशे का, जो परिवार बुद्धि खत्म कर अपराध करा देता है, जो अपना-पराया की पहचान खत्म कर देता है, ऐसे नशे का सेवन, शराब अफीम कोकिन, तमाम नशे की गोलियां आदि को मत पियो-खाओ।

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