धर्म कर्म: इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज जी ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि बहुत से लोग कहते हैं भजन (करने के लिए) समय नहीं मिलता है। पूछो क्या करते हो? कोई कहता है हम बिजनेस, सामाजिक सेवा, राजनीतिक सेवा आदि करते हैं। तरह-तरह की बातें बताते हैं कि समय नही मिलता है। टट्टी-पेशाब करने का, खाने का, नहाने का आदि सबका समय मिलता है लेकिन भजन का समय नहीं मिलता है। आप इस बात को सोचो कि समय क्यों नहीं मिलता है? क्योंकि उसके साथ वह अपनी प्रतिष्ठा बना लेते हैं और ऐसा झंझट का काम ले लेते हैं जिनको जल्दी छोड़ नहीं पाते हैं। जैसे भाई भतीजावाद का काम, जातिवाद का काम, एरियावाद का काम, इन सब वाद में फंस जाते है। देखो ये जितने भी वाद हैं, सब दुखदाई है। यह सब फंसाने वाला, तकलीफ देने वाला है। चाहे आतंकवाद हो चाहे, माओवाद हो या अन्य कोई वाद हो। इसलिए इन वादों से आप लोग दूर रहो। अगर इसमें फंसोंगे तो कभी भी भजन करने का, सतसंग सुनने का, कुछ जानने समझने का समय नहीं मिलेगा और अपनी ही बनाये हुये जाल में जैसे मकड़ी फंसकर मर जाती है, सुख के लिए बनाती है लेकिन उसी में फंस करके मर जाती है, ऐसे आपकी भी जीवन लीला खत्म हो जाएगी। इसलिए सारे वादों से हटो और मानववाद में आओ।

विश्वास के साथ करोगे तो फायदा दिखेगा

कर्मों का कर्जा होता है। यह गृहस्थ आश्रम में आसानी से लोग अदा कर लेते थे, जब मालूम रहता था कि गृहस्थ आश्रम में कैसे रहा जाए। नहीं तो इसी खींचातानी में आदमी को शांति नहीं मिलती है। अच्छे बंगला, कोठी, फ्लैट में रहते हो, खाने पहनने की कोई दिक्कत नहीं लेकिन फिर भी शांति नहीं है क्योंकि घर में कलह है। लड़का अपना चला रहा है, लड़की अपनी चला रही है, बहू दूसरी तरफ भाग रही है, पत्नी अपनी में। इसी खींचातानी में आदमी का दम घुट रहा है, बहुत से लोग आत्महत्या कर लेते हैं। आप कभी भी आत्महत्या मत करना। संघर्षमय जीवन है। कोई तकलीफ आपको आवे, आप बताना, जो मेरे समझ में आवे, मैं आपको बताऊंगा। गुरु महाराज की दया से वैसा विश्वास के साथ जब करोगे तो आपको फायदा दिखाई पड़ेगा।

सामूहिक रूप से रात को भजन करने का आदेश भी नहीं दिया जाता है

सामूहिक रूप से रात को भजन करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि अभी समय खराब है। अभी पता चल जाए, इधर से यह देवियां ध्यान भजन के लिए जाती रहती है तो यह चैन, कुंडल खींचने वाले अभी धक्का मार के निकाल कर ले जाए। पता चला घर से दूसरे के यहां जाने, ध्यान भजन के लिए निकल जाते हैं तो पीछे से चोरी ही करके चले जाए। तो समझो यह आदेश नहीं दिया जा सकता है क्योंकि वातावरण नहीं है, ऐसे भजन करने का। इसलिए आप लोग ऐसी जगह को चुनो, जहां शांत वातावरण हो, जहां बैठकर के ध्यान भजन आप करो, आदत डालो। इस बात की चिंता करो कि हमारे जीवन का समय निकाला जा रहा है, यह फिर नहीं आएगा। यह मत सोचो कि आगे कर लेंगे। किसी ने भविष्य को, आगे के समय को, कल को देखा नहीं है। सोने के बाद सवेरा देखने की गारंटी नहीं रहती है। इसलिए गुरु का ध्यान करके प्रार्थना, नामध्वनी बोल करके सोते हैं। या मेरे गुरु मुझे सवेरा दिखाना, मुझे रात में कोई तकलीफ न हो क्योंकि सपने में देखा, कोई मार काट रहा है, डरा रहा है, सांप आ जाए तो चिल्लाने लगता है, ऐसे चारपाई से उठकर खड़ा हो जाता है, होश में नहीं रहता है, गिर जाता है। ऐसा भी देखा गया अर्ध निंद्रा में आदमी उठा, उठकर चल पड़ा और चलकर नीचे गिर पड़ा। ऐसी स्थिति में इसलिए प्रार्थना किया जाता है कि रात हमारी ठीक से गुजर जाए। धरती पर सुबह चलना डोलना रहता है इसलिए तो सुबह धरती को प्रणाम करते हैं। हे धरती! मुझे फिर इस बिस्तर पर लाना, फिर नींद दिलाना, फिर मुझे यह रात देखने को मिले, दिन में ही मेरे प्राण न निकल जाए, इसलिए लोग करते थे। प्रेमीयों! समरथ गुरु, परम गुरु जब आपको मिल गए हैं, फिर कोई चिंता की जरूरत नहीं है। लेकिन गुरु को जब मस्तक पर सवार रखोगे, गुरु उतरने नहीं पाएंगे, आप गुरु को जब नहीं भूलोगे तब तो आप निश्चिंत रहोगे। लेकिन गुरु को ही भूल जाते हो, गुरु की ही उंगली, हाथ छोड़ देते हो, गुरु के ही वचनों को भूल जाते हो, गुरु के बताये रास्ते से अलग हो जाते हो, उनके आदेश का पालन‌ नहीं कर पाते हो, तब कौन संभालेगा? गुरु नहीं संभालेंगे तो कौन संभालेंगे? इस बात की गारंटी जब हो गई, सतसंग सुनते-सुनते, जो आप पुराने लोग हो कि गुरु ही पतवार होते हैं, गुरु ही खेवनहार होते हैं, गुरु ही संभालने वाले होते हैं, गुरु ही सब कुछ होते हैं। गुरु जब समरथ मिल जाते हैं तब समझो सब काम हो जाता है। फिर भी गुरु पर विश्वास नहीं हो पा रहा है, उनसे प्रेम नहीं हो रहा है, श्रद्धा भाव आपका नहीं जग रहा है। कहने का मतलब है कि समय निकला जा रहा है। समय किसी का इंतजार नहीं करता है।

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