धर्म-कर्म : दक्षिणा में बुरी आदतों को छुडवाने वाले, रूहानी सफ़र शुरू करवाने वाले, रूहानी दौलत देने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ संत सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि जहां लड़का-लड़की की शादी करते हो, वहीं पर करो। जहां जिसके साथ बैठकर के शाकाहारी भोजन खाते हो, उसी के साथ खाओ। कुछ आपको नहीं छोड़ना है, बस केवल बुरी, गंदी आदतों को छोड़ना है। यही आपकी दक्षिणा होगी। बहुत से लोग लोटा, धोती, लंगोटी, अनाज, बिस्तर आदि पहले ही रखवा लेते हैं, सुपारी, पान, नैवेद्य, फूल, पत्ती, बच्चों का, औरत का कपडा, धोती, कुर्ता आदि पहले से ही लिखवा देते हैं। तब कान फूंकते हैं, तब छाप लगाते हैं। छाप लगाने का काम यहां नहीं होता है। कबीर साहब ने कहा- कंठी बांधे हरि मिले तो बंदा बांधे कुंदा, पत्थर पूजे हरि मिले तो बंदा पूजे पहाड़। संध्या तर्पण न करूं, गंगा कभी न नहाऊं, हरि हीरा अंतर बसे, वाही के नीचे छांव। तो आंतरिक ज्ञान, परा विद्या का ज्ञान जिसको हो जाता है, जिसकी जीवात्मा इस पिंड को छोड़कर के अंड, ब्रह्मांड लोक में, उससे भी परे जाने लगती है, वह इन सब चीजों से विश्वास को खत्म कर देता है। वह तो यही कहता है कि ये सब है- गुड्डा गुड़िया सूप सपलिया, यह सब लड़कियां खेलन की। जैसे छोटी बच्ची गुड्डा-गुड़िया का खेल खेलती है, उनका विवाह करती है, घर बनाती, खिलाती, सुलाती है, लेकिन जब उसकी शादी हो जाती है तब वह गुड़िया-गुड्डा का खेल नहीं खेलती है। तो जब तक जानकारी नहीं होती तब तक। तो उन्होंने कहा, मैं भी इसी में फंसा रहा, मैं भी यही करता रहा लेकिन जब जानकारी हो गई तो इसको मैं गुड़िया-गुड्डा का खेल समझने लग गया। अब हमको असली पति परमेश्वर मिल गए तो इसकी जरूरत नहीं रह गई।

असली चीज को आपने छोड़ दिया:- 

गुरु महाराज हमारे बताते थे और आप में से कुछ लोग गुरु महाराज के पास जाते भी थे। अब जैसा उन्होंने बताया, उस तरह से आप आजमाईश किए होते तो आपके अंदर यह शक्ति आ गई होती। लेकिन असली चीज को तो आपने छोड़ दिया। असली चीज पर ध्यान नही दिया। गुरु महाराज ने जो जागृत नाम दिया, उसको आपने छोड़ दिया। जनरल नाम जो सबके लिए बता दिया, उसे बोलते रहे, जयगुरुदेव नाम वह बोलते रहे। गुरु महाराज पर आप ने विश्वास किया, आते जाते रहे, जब गुरु महाराज मौजूद रहे, दर्शन मिलता रहा। कर्म कटते रहे, आपका खान-पान, चाल-चलन जब सही हो गया, जब नीयत दुरुस्त हो गई तो बरकत होने लग गई तब आप गुरु महाराज को मानने लग गए। लेकिन असली चीज आपने छोड़ दी। अगर आप लोग सुमिरन ध्यान भजन, जैसा गुरु महाराज ने बताया, उस तरह से अगर करने लग जाओ, तो देखो आपके अंदर कितनी ताकत शक्ति आ सकती है। कर्म करो, सुबह का भूला शाम को अगर घर वापस आ जाए तो भूला नहीं कहलाता है।

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