धर्म-कर्म : निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ संत सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि अभी तो सेवा का मौका है। मन से भी बहुत बड़ी सेवा होती है। मन से भी आदमी अगर चिंतन करता रहे कि, जो गुरु महाराज काम छोड़कर के गए- इस धरा पर ही सतयुग उतर आए, वह सतयुग ला दिया जाए, सतयुग के लायक लोगों को बना दिया जाए। सतयुग योगी सब विज्ञानी, सतयुग में सब योगी विज्ञानी शाकाहारी नशा मुक्त थे, व्यभिचार कोई नहीं करता था, दूसरे के धन को जहर और दूसरे की मां-बहन को अपनी मां-बहन की तरह से मानता था।

अगर लोग शाकाहारी नशामुक्त नहीं बने तो लाशों पर लाशों का होगा नजारा:-

सतयुग तो समय से आएगा क्योंकि यह परिवर्तनशील संसार है। यहां बदलाव होता रहता है। सबसे पहले जब धरती बनी थी तब सतयुग ही था। फिर त्रेता, फिर द्वापर फिर कलयुग समय से आ गया। कलयुग में ही सतयुग आने की बात गुरु महाराज बराबर बोलते रहे हैं। लिंग पुराण के 40वें अध्याय में, सूरसागर में, जगन्नाथदास की उड़िया किताब में लिखा है। कलयुगी लोगों को सुधारोगे नहीं तो ये सतयुग नहीं देख पाएंगे। फिर तो लाशों पर लाशों का होगा नजारा, सुनते तो जाओ संदेशा हमारा। खाक होंगे नगर, लोग मिट जाएंगे, जलजला में भी निशा न रह जाएगा- ऐसा समय आएगा।

ऐसे नशे का सेवन मत करना जिससे मां बहन बेटी की आंखों से पहचान हो जाए खत्म:- 

मांसाहार अगर नहीं बंद हुआ तो और भी भयंकर रोग आएंगे। कोरोना तो एक ट्रेलर है, असली सिनेमा तो कुदरत (के कहर) का आगे दिखाई पड़ेगा। शाकाहारी रहना और शाकाहारी लोगों को बनाना। ऐसे नशे का सेवन मत करना, जिससे होश में न रह जाओ, मां बहन बेटी की पहचान आंखों से खत्म हो जाए।

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