लखनऊ। “गुलशन में तो सेहरा में तो हवा रोशन है, राम के नाम से दुनिया ए वफ़ा रोशन है” प्रभु श्रीराम के प्रति अटूट आस्था व्यक्त करती ये पंक्तियां किसी हिन्दू कवि की नहीं बल्कि साहित्यकार तिलत सिद्दीकी की हैं, और मार्यादा पुरुषोत्तम श्री राम कथा का हिस्सा हैं। जिसमें गजल और नज्मों से प्रभु राम की अकीदत के साथ उन्होंने रामकथा और मुस्लिम साहित्यकार समग्र का उर्दू अनुवाद किया है। कानपुर के मुस्लिम जुबली गर्ल्स इंटर में बतौर शिक्षिका तैनात डॉ. सिद्दीकी ने बड़ी ही खूबसूरत अल्फाजों में रामकथा की तर्जुमा किया है।
मुस्लिम साहित्यकारों के राम गंगा-जमुनी तहजीब की सेतु बनी हुई हैं। डॉ. सिद्दीकी. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि हिन्दू लेखकों के साथ मुस्लिम समाज से जुड़े साहित्यकारों ने भी बड़ी गहराई के साथ प्रभु श्रीराम को आत्मसात कर अपनी गजलों व नज्मों में श्रीराम की मर्यादावादी आदर्शवाद, वीरता और सामाजिक संदेश को बयां किया है।
यह भी पढ़ें: कोरोना का कहर: इस साल पहली बार मामले 53 हजार के पार, वैक्सीन निर्यात पर रोक
इनसे मिली प्रेरणा
डॉ. माहे तिलत सिद्दीकी बताती हैं कि पुस्तक के मूल लेखक पंडित बद्री नारायण तिवारी जी ने उन्हें रामकथा का अनुवाद करने के लिए चुना। उनकी ही प्रेरणा से उन्होंने मुस्लिम लेखकों की रचनाओं पर आधारित किताब “रामकथा और मुस्लिम साहित्यकार सम्रग” का उर्दू में तर्जुमानी की है। उन्होंने प्रभु राम से जुड़ी राचनाओं को गजल व नज्म में पिरोया है। जिसमें उनको करीब ढाई साल का वक्त लगा। उर्दू पढ़ने वाले सभी मुसलमानों को प्रभु श्रीराम को समझने में यह किताब चार चांद लगाएगी। साथ ही एकता और भाईचारे को और मजबूत करेगी।https://gknewslive.com