लखनऊ: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के नहर्र गांव में शिवनाथ और विश्वनाथ के बीच सुबह से विवाद चल रहा था। ग्रामीणों के अनुसार दोपहर को भी पुलिस गांव में आई थी। विश्वनाथ को हिदायत देकर गई थी। शाम को उसने फिर विवाद किया। दरोगा प्रशांत कुमार यादव और सिपाही चंद्रसेन उसे पकड़ने आए थे। उन्हें इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि आरोपित गोली चला देगा।
दरअसल ग्रामीणों ने बताया कि विजय सिंह ने दोनों बेटों को बराबर-बराबर खेत देने के बाद अपने पास सात बीघा रखा है। इस खेत में उनके बड़े बेटे शिवनाथ ने आलू की फसल बोई थी। इसलिए खुदाई के बाद आलू उसे ही मिलने चाहिए थे। छोटे भाई विश्वनाथ ने पिता के खेत में हुए आलू में भी आधा हिस्सा मांगा था। यह कहा था कि यह हिस्सा मां का होना चाहिए। ग्रामीणों के अनुसार सुबह से दोनों भाइयों के बीच तकरार चल रही थी। रिश्तेदार और परिजन विवाद को सुलझाने का प्रयास कर रहे थे। मामला पुलिस तक पहुंचा था। 112 नंबर पर सूचना दी गई थी।
शिवनाथ ने तर्क दिया था कि उसने पिता से खेत अधबटाई पर लिया था। इसके एवज में उन्हें किराया भी दिया था। अपनी फसल से वह किसी को कोई हिस्सा नहीं देगा। पुलिस भी उसके तर्क से सहमत थी। पुलिस ने शिवनाथ को शांति बनाए रखने की हिदायत दी थी। खुदाई के बाद कुछ आलू कोल्ड पर चला गया। कुछ शिवनाथ ने अपने घर भिजवा दिया। शिवनाथ की गांव में डेयरी भी है। शाम को दूधियों के आने का समय हो रहा था। इसी दौरान छोटे भाई विश्वनाथ ने दोबारा बवाल खड़ा कर दिया। बड़े भाई ने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना पर हल्का इंचार्ज प्रशांत कुमार यादव और सिपाही चंद्रसेन गांव में पहुंचे थे। घटना हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि दोपहर को पुलिस ने विश्वनाथ को पकड़ लिया होता तो यह नौबत नहीं आती। भाइयों के बीच विवाद था। पुलिस ने यह सोचकर दिन में कार्रवाई नहीं की कि आपस में बैठकर सुलझा लेंगे। शाम को इस कारण साहसी दरोगा प्रशांत कुमार यादव की जान चली गई।