धर्म कर्म: मृत्युलोक के विधान के पूरे जानकार, तीनों लोकों में अभयदान देने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि 7 साल तक के बच्चे-बच्चियों का पाप माता-पिता को लगता है। लेकिन 7 साल के बाद बच्चे होशियार हो जाते हैं, जानने-समझने लगते हैं। और इस समय तो (कल)युग का प्रभाव है, 5 साल से ही जानने लग जाते हैं। पढ़े-लिखे जवान आदमी को नहीं मालूम होगा, जो गूगल में, मोबाइल में देख करके लड़के सब सीख जाते हैं। बता देते हैं, कौन सी पिक्चर में कौन सा हीरो, हीरोइन है, सब बता देते हैं। कहने का मतलब यह है कि जब जानकारी हो जाती है और हाथ, पैर,आंख, कान, मुंह से, शरीर से जो भी कर्म बनते हैं, सब नोट होता चला जाता है। उस (मालिक) का कंप्यूटर, बही खाता कभी भी बंद नहीं होता है। उसमें कलम बराबर चलती रहती है, प्रिंट होता रहता है। जैसे पहले टेलीग्राफ टेलीग्राम होता था, यहां बटन दबाते थे, वहां ऐसे लिख जाया करता था, इसी तरह से उसका रहता है। तो कर्मों के अनुसार वह सजा देता है। और काल शरीर को खाली कराने के लिए कोई न कोई बहाना बनाता है। पूछे, भाई क्या हो गया था, कैसे मर गए? बोले, अरे भाई रात को पेट फूला, गैस बनी और सुबह तक चले गए, सवेरा नहीं देख पाए। कोई बोले, बिल्कुल ठीक थे, अचानक तेज बुखार आया, बुखार में जान ले लिया। यह कोई नहीं कहता है कि काल ने उठा लिया, ले गया।

सच पूछा जाए तो कोई किसी का नहीं है

यह तो लेना-देना कर्जा है। असला कौन है? असला तो अपना मलिक, अपना पिता परमेश्वर है और हम लोग उसको नकल में भूल जाते हैं। उसको हमेशा अगर याद रखें, उसका दर्शन-दीदार अगर अंतर में हो जाये, उसका वरदहस्त अगर सिर पर पड़ जाए तो कही भी कोई दिक्कत नहीं रह जाएगी। यह यमराज के लोक, इंद्र गंधर्व देवलोक, यह सब छूट जाते हैं, इनका कोई झंझट, डर ही नहीं रहता है। गुरु महाराज ने जो युक्ति आपको दिया, उनके बाद यह जो नाम बताया गया, उन पर भी गुरु महाराज की दया हो रही है। अगर आप वो साधना करने लग जाओ तो इनका कोई डर, भय नहीं। फिर तो तीन लोक में कोई भय नहीं रहेगा। तो आत्मा के कल्याण में लगो और यह जो लेना-देना कर्जा है, इसको भी अदा करते जाओ।

महाप्रलय के समय सन्तों की जीवों की क्या गति होती है?

सन्तों के जीव पहले उठा लिए जाते हैं, उनको तड़पा-तड़पा के वह नहीं मारते हैं। उनको ले जाकर के, अगर उनका समय रह गया है तो ऊपरी लोकों में कहीं छोड़ देते हैं। महाप्रलय जब होने को होता है तब पूरी कोशिश करते हैं कि एक बार पूरी खेप को ले जाकर के सतलोक पहुंचा दे। सतलोक में जब जीवात्मा पहुंच जाती है तब अलख लोक, अगम लोक, अनामी लोक में जाने में कोई दिक्कत नहीं होती है। उधर कोई रोक-टोक, कोई वज्र किवाड़ी नहीं है।

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