धर्म कर्म: बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी जानशीन, उनके मिशन सतयुग को ही इस धरा पर लाने में दिन-रात लगने वाले, इस समय के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि गुरु महराज ने ऐलान किया कि कलयुग में सतयुग आएगा। हम आप लोगों से प्रचार भी करवाया। गुरु महाराज ने कहा, एक काम अगर यही हो जाए, इस धरती पर सतयुग आ जाए तो अभी सब काम बन जाए। गुरु महाराज तो चले गए लेकिन सन्तों की यह परंपरा रही है कि किसी न किसी को अपना काम सौंप करके जाते हैं। उसी काम को वह आगे बढ़ते हैं। उनके प्रेमी जो रह जाते हैं, उनके द्वारा काम आगे बढ़ता है, पीछे का इतिहास बता रहा है। यह काम हमारे-आपके ऊपर छोड़कर के गए हैं। अगर आप यही काम कर ले गए तो इस धरा पर सतयुग उतर आएगा। देश वालों नया एक संदेशा सुनो, इस धरा पर सतयुग का प्रादुर्भाव अगर आप सब लोग मिलकर के कर दो, तो सारी समस्याएं सुलझ जाएगी।

ये अब प्रार्थनाएं चरितार्थ होने वाली हैं

सवाल यह है कि एक गद्दी पर दो राजा बैठ नहीं सकते हैं। एक हटेगा तभी दूसरा बैठेगा। कलयुग जाएगा नहीं तो सतयुग आएगा कैसे? सतयुग का समय हो जाएगा तो जो कलयुगी लोग हैं, उसमें चले जाएंगे। लाशों पर लाशों का होगा नजारा, सुनते तो जाओ संदेश हमारा। उठाने वाले न मिलेंगे यार जमाना बदलेगा।। यह सब प्रार्थनाए पहले बोली जाती थी। चेतावनी दोहा चौपाई किस्सा कहानी महात्मा और महात्मा के भक्त, सन्त और सन्तों के भक्त लोगों को समझा बता करके असली चीज का भान-ज्ञान करते रहे हैं। यह प्रार्थना चरितार्थ होने वाली है।

गुरु को हमेशा सामने रखो, आपके अंग संग रहते हैं

इस चीज का हमेशा ध्यान रखो कि हम जो कह रहे हैं, वो गुरु सुन रहे हैं। हम जो कर रहे हैं, उसे गुरु देख रहे हैं। हमको लाभ और मान नहीं चाहिए। हमको तो गुरु का गुलाम बन करके काम करना चाहिए। गुरु राजी हो जाएंगे तो काल और कर्म की कोई बाजी नहीं चलेगी। देखो यह जो महात्माओं की बातें लिखी हुई हैं, एक भी बात गलत नहीं हो सकती है। जो पूरे सन्त रहे, आज तक उनकी बातों को कोई काट नहीं पाया। गुरु की मौज में रहो तो काल भी अपने घर प्रभु के पास जाने का राह बता देगा और उस भगत का पल्ला न पकड़े कोय। इसलिए गुरु का गुलाम बन करके कार्यकर्ता चाहे बच्चे या बच्चियो! आप लोग काम करो। गुलाम की कोई ख्वाहिश होती है? गुलाम की कोई इच्छा नहीं होती है। गुलाम को जो उसका मालिक खिलाता पिलाता सुलाता देता है वह उसी में संतुष्ट रहता है।

मनमुख अगर मुक्ति-मोक्ष की कामना करे तो बड़ा मुश्किल होता है

गुरु ने जो नाम दान दिया है, उसको मत बिसारिए और हिम्मत न छोड़िए। सबकी साधना एक जैसी नहीं बनने लगती है। जो सुमिरन ध्यान भजन करने के लिए गुरु महाराज ने बताया, इसे बराबर करते रहना। इसके छूटने पर दिल दिमाग बुद्धि दुनिया की तरफ चली जाती है फिर वह जीव मन मुख हो जाता है। मन मुख अगर मुक्ति मोक्ष पाने की कामना करें तो यह बड़ा मुश्किल होता है।

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