धर्म कर्म: इस समय झोपड़ी से लेकर महल तक रहने वाले दुखी हैं लेकिन पहले के समय में सभी वर्ग के लोग जब समर्थ सन्त के दर्शन, सतसंग का लाभ लेते थे तथा उनके बताए उपाय को करते थे तब सभी लोग स्वस्थ, खुशहाल, संपन्न रहा करते थे। जब इस शरीर से गुनाह करने से बचते थे तब खुदा भगवान के लिए की गई पूजा इबादत वह मालिक कबूल करता था।
बाबा उमाकान्त जी महाराज का सतसंग व नामदान कार्यक्रम 2 मार्च 2024 सायं 4 बजे से, 3 मार्च प्रात: 9 बजे से, सतसंग स्थल- बाबा उमाकान्त जी महाराज आश्रम के पास, टोल प्लाजा से पहले, ठीकरिया, अजमेर रोड, जयपुर, राजस्थान।
जब जब होइ धरम कै हानी। बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी।। तब तब प्रभु धरि विविध सरीरा। हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा।। स्पष्ट है कि जब-जब लोग दुखी होते हैं, तब तब वो प्रभु, मालिक इस धरती पर लोगों के दुःख दूर करने, उनको सुख शान्ति, बरकत व मुक्ति मोक्ष, निजात दिलाने के लिए किसी सन्त महापुरुष, फकीर को भेजा करता है।
इस समय पर बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, समय के दुःख हर्ता सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज देश-विदेश में घूम कर लोगों की बीमारी, लड़ाई-झगड़ा, टेंशन दूर करके उनकी रोजी-रोटी में बरकत दिलाने का उपाय बताने के साथ ही साथ इसी मनुष्य शरीर में जीते जी प्रभु का दर्शन कराके रूह यानी जीवात्मा को निजात दिलाने का काम कर रहे हैं।
बाबा उमाकान्त जी महाराज के आदेशानुसार उनके प्रेमी जगह-जगह से आप लोगों का दर्शन करने के लिए पधार रहे हैं। आप आइए, दर्शन दीजिए, प्रेमी साधकों का दर्शन कीजिए व बाबा उमाकान्त जी महाराज के दर्शन, सतसंग, नामदान का लाभ उठाइए। तीरथ गए एक फल, सन्त मिले फल चार। सतगुरु मिले अनेक फल, कहत कचीर विचार।