धर्म कर्म: जीवन के असला काम की याद दिलाने वाले, अपनी बढ़ती उम्र और शारीरिक क्षमता का लिहाज न करते हुए दिन-रात जीवों को बचाने में अनवरत लगे, जन्म-मरण के चक्कर से, आवागमन से मुक्त कराने वाले, इस समय के मनुष्य शरीर में मौजूद पूरे समर्थ सन्त सतगुरु, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज जी ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित सन्देश में बताया कि जब से अपना मुख्य आश्रम उज्जैन में तैयार हुआ तब से होली का कार्यक्रम वहीं होता चला जा रहा है। इस वर्ष भी गुरु महाराज की दया रही, स्वास्थ्य परिस्थिति अनुकूल रही तो होली का कार्यक्रम वहीं पर होगा। जो लोग सेवा में आते हो, उज्जैन, बावल जहां गुरु महाराज का मंदिर बन रहा है, सेवा में जाते हो, सेवा में जाने की आदत डाले रहो। सेवा करने से कर्म कटते हैं, भजन में मन लगता है, असला काम जो अपने जीवन का है, उसमें अपना मन लगता है। सेवा का भाव बराबर आप लोग बनाए रखना।

साप्ताहिक सतसंगों में गुरु महाराज के संदेश को बताते रहो

हमारा सतसंग कहां-कहां होंगे? संगत बहुत बड़ी है। देश बहुत बड़ा है। और विदेशों में भी बहुत आदमी हो गए अपने। वहां भी (सतसंग कार्यक्रम की) बहुत मांग रहती है। और उम्र बढ़ती जाती है। उम्र के हिसाब से शरीर कमजोर होता जाता है। इसलिए साप्ताहिक सतसंग कायम कर दिए गए हैं कि वहां पर कुछ न कुछ उपदेश होता रहेगा। जो बातें यह सतसंग की बताई जाती है, उन्हीं को लोग जो लिखा-पढ़ी करके अखबारों में निकाल देते हैं, या पर्चा छप जाता है, या जो रिकॉर्ड कर लेते हैं, उसी को सुनाते रहेंगे तो बहुत सी चीजों की जानकारी हो जाया करेगी, नए लोगों को भी।

कर्मकांड से, जो खुद बंधन में है उनसे जन्म-मरण का आवागमन नहीं छूटेगा

ये जो कर्मकांड है, इनके करने से भी आदमी की तकलीफें दूर नहीं हुई, आवागमन नहीं छूटा, जन्मना और मरना नहीं छूटा, योनियों में जाना नहीं छूटा। कारण? कारण यही रहा कि छूटइ मल कि मलहि के धोएँ, घृत कि पाव कोइ बारि बिलोएँ। मल यानी गंदगी। किसी के बच्चे ने पैर के ऊपर लैट्रिन कर दिया, अब कहे कि हम मल से ही धो करके साफ कर देंगे। जैसे पेशाब लग गया, अब कहो कि पेशाब से ही हम साफ करेंगे तो कैसे साफ करेगा? ये उसी तरह से जैसे पानी बिलो कर के, बिलोना अर्थात मथना, पानी को मथ करके घी खोजे। पानी को बिलोने से कोई घी को नहीं पा सकता। दूध से दही बना दो, दही को बिलोने से मक्खन फिर उससे घी निकलेगा, तो जानकारी होनी चाहिए इस बात की। ज्यादातर लोग किससे बंधन से मुक्त होने की प्रार्थना करते हैं? उससे करते हैं जो खुद बंधन में है। बंधन में कौन है? ये जितने भी 33 करोड़ दुर्गा, 10 करोड़ शंभू, ये जितने भी शिव, ब्रम्हा, विष्णु, महेश, ये त्रिलोकी हैं, ये सब बंधन में है। ये मुक्त नहीं है। इनकी आत्मा अपने घर, मालिक के पास, प्रभु के पास, सतपुरुष के पास, जयगुरुदेव लोक में इनकी आत्मा नहीं पहुंच सकती है। ये सब बंधन में हैं। इनसे आप बंधन छुड़वा रहे हो तो कहां से आपका बंधन छूटेगा? आगे महाराज जी ने बहुत रोचक कहानी सुनाई और गहरी बात समझाई। पूरे सतगुरु ही बंधन से मुक्त करवा सकते हैं।

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