धर्म कर्म: विधि के विधान को पूरा जानने समझने वाले, अपने सतसंग से लोगों को कढ़ा देने वाले, परमार्थी काम में लगने और लगाने वाले, वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु,दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि इस (सतसंग में आई हुई भक्तों की भारी भीड़) में कई गांव के सीधे-साधे लोग बैठे हैं, कोई अनपढ़, कोई कम, कोई ज्यादा पढ़े हैं। कुछ कढ़े भी हो। कई पढ़ों को दुनिया की चीजों की जानकारी नहीं होती है जैसे 20 साल के अनुभवी मिस्त्री, अनुभवी कम्पाउण्डर को पढ़-लिख कर आये इंजिनियर डॉक्टर से ज्यादा जानकारी होती है। तो वह पढ़े नहीं होते हैं, कढ़े होते हैं। कढ़े बहुत काम कर देते हैं। कढ़े का अनुभव, अकल जब लग जाती है, तो काम हो जाता है। एक सेठ ने एक बहुत बड़ी फैक्ट्री बनवाई, वह फैक्ट्री चले ही नहीं। बड़े-बड़े इंजीनियर को बुलाया, विदेश तक के लोगों को बुलाया। चले ही नहीं। तब किसी ने कहा एक लोहार पास में रहता है, बड़ा दिमागी है। कोई चीज देख ले तो फट से बना दे। तो जाओ उसको बुला लो। मैनेजर ने कहा बड़े-बड़े इंजीनियर बीत गए तो वह क्या चला पाएगा। लेकिन जिसका पैसा लगा था, उसको दर्द था। ब्याज कहां से भरेंगे, बच्चे कहां से खायेंगे तो उसने कहा भाई बुला लो ज्यादा से ज्यादा पैसा ही तो लेगा। अगर काम हो जाए तो क्या बुरा है। बुलाया गया, आया, पूरा बड़ी बारीकी से देखा, कोई जल्दबाजी नहीं किया। हिला डोला करके एक-एक पुर्जे को देखा। सब देखा। आधा घंटा तक बराबर सब चेक किया। उसके बाद एक जगह रुका। वहीं पर एक नट निकला हुआ था, हथौड़े से मारा, अंदर चला गया, बोला अब चलाओ और फैक्ट्री चल गई। सब खुश हो गए। मिठाई बटने लगी। जब उसको जाने को हुआ तो मैनेजर ने कहा तुम्हारी फीस कितनी हुई? तो कहा ₹1000. एक हजार की उस समय बहुत कीमत थी। मैनेजर ने कहा एक हथौड़े का ₹1000? तो कहा, जी नहीं, एक हथौड़े का ₹1 और अक्ल लगाने का 999 रूपया। तो पूछा यह तुमने कहां से सीखा? कौन सी पढ़ाई किया? कहा में पढ़ा नहीं हूं, काढ़ा हूं। मेरे यह बाल धूप में नहीं पके हैं। यह उम्र के हिसाब से पके हैं। बचपन में ही मेरे पिताजी ने यही हथौड़ा पकड़ा दिया था तो मैं कढ गया। मैं कढा हूं।

कढ़े लोग, पढ़े लोगों जैसे काम कर सकते हैं

तो कढ़े लोग भी काम कर सकते हो। भजनानंदी, सतसंग सुनने वाला, गुरु की बातों को सुनने, समझने वाला कढ़ जाता है। तो आप जो गुरु महाराज का सतसंग बराबर सुनते रहे, उन्हें जाने के बाद जो आप सतसंग में बराबर आते रहते हो, चाहे कम पढ़े लिखे हो, पढ़े जैसा काम कर लोगे क्योंकि आप कढ़ गए हो। बहुत सी बातें आपको याद हो गई। उन्ही बातों को लोगों को समझाते बताते रहो। जहां खाली बैठे, वहीं बताते रहो तो लोगों का मन बदल जाएगा। इस साधना, इस मत को लोग समझ नहीं पाएंगे, तो दुनियावालों का मन इधर जल्दी न भी लगा तो भी तो कम से कम बुराइयों से तो अलग हो जाएंगे। आगे कुदरत की जो मार पड़ने वाली है, जो सोटा डंडा कुदरत का चलने वाला है, उससे तो बच जाएंगे। यह जो बीमारियां नई-नई आ रही है, यह जो आंधी तूफान आ रहा, आगजनी, डकैती, लूट-खसोट, मार-काट होने वाला है, इससे तो लोग बच जाएंगे। तो प्रेमियो! यहां से जाने के बाद अपने 24 घंटे में से थोड़ा समय इस परमार्थी काम में आप बराबर लगाओ। और यह जो बेचारे पूरा सतसंग नहीं सुन पाते हैं, बहुत सी बातें जल्दबाजी में बता दी जाती है, भूल जाते हैं, आप जो समझ जाते हो, जो आपको जानकारी हो, इनको बराबर बताते, समझते रहो जिससे ये आपके मददगार बन जाए। इनका भी काम हो जाएगा और आपका भी काम हो जाएगा, हंसते खेलते यह जिंदगी पूरी हो जाएगी नहीं तो रोते-रोते पैदा हुए, रोते-रोते जाओगे।

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *