धर्म-कर्म: पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि पहले राजतंत्र था जिसमे राजा फिर उसका लड़का राज करता था। अब प्रजातंत्र में जनता राजा है। लेकिन जब वह अपने अधिकार को खत्म कर देती है, समझ नहीं पाती है कि हमारे अंदर कितना पावर है तब वही चुने हुए मंत्री, राजा के ऊपर हुकूमत करने लग जाते हैं। वह अगर शराबी, मांसाहारी, व्यभिचारी, देशद्रोही, भारतीय संस्कृति खत्म करने वाले, दूसरे देश की संस्कृति ला देने वाले निकल गए तो जनता सुखी नहीं रह सकती। पांच साल में मंत्री बनाने का, अपना मंत्री चुनने का मौका केवल एक बार मिलता है। अगर इस समय पर भाई भतीजावाद, जातिवाद, एरियावाद, भाषावाद आदि में आ गए तो चूक जाओगो, पछताओगे, आया अवसर निकल जाएगा इसलिए इस समय पर सभी लोगों को चेतने की जरूरत है। सबके लिए बात कही जा रही है। सोच समझकर के बटन दबाने की जरूरत है।
अच्छे आदमी को साथी, नेता और अच्छे समरथ गुरु को अपना हाथ पकडाना चाहिए:-
आप देख लो शराबी, मांसाहारी की बुद्धि और शाकाहारी नशा मुक्ति की बुद्धि, व्यभिचारी की बुद्धि और चरित्रवान की बुद्धि, चाहे स्त्री हो चाहे पुरुष, बहुत अंतर रहता है। इसलिए अच्छा तो अच्छा ही होता है। हमेशा अच्छा ही होता है। अच्छे आदमी को अपना साथी बनाना चाहिए, अच्छे आदमी को अपना नेता बनाना चाहिए, अच्छे आदमी का हाथ पकड़ना चाहिए। गुरु तो बहुत हैं लेकिन गुरु-गुरु में भेद है। समरथ गुरु जब मिलते हैं तो जहां का जीव तहां पहुंचावा, जहां की ये जीवात्मा है, वहां उसको पहुंचा देते हैं।
कैसे निर्णय लें कि किसको वोट देना है:-
जो दु:ख तकलीफ को समझ सके, जो गरीबी को देखा हो, वही गरीबों की गरीबी को दूर कर सकता है। जिसके अंदर लोगों के प्रति प्रेम हो, जिसमें कोई परिवारवाद भाईवाद भतीजावाद न हो, ऐसे आदमी को अगर आप चुनोगे तो वह सबके लिए समान व्यवहार रखेगा, सबके लिए समान काम करेगा। यह तो निर्णय आपको लेना है। हम किसी व्यक्ति, पार्टी का नाम नहीं ले रहे। फैसला आपको करना है। सोच-समझ लो, अपने, अपने बच्चों, देश और समाज के भविष्य को देख लो। जिसके अंदर मानववादिता ईश्वरवादिता देशभक्ति समाजभक्ति मानवभक्ति हो, ऐसे आदमी को आप सोच लो। कल से पहले चरण का चुनाव शुरू हो जाएगा। पूरे देश की जनता को इसमें अपना मंत्री प्रधानमंत्री एम.पी बनाने का मौका मिलेगा। अन्न के दोष से भीष्म पितामह की बुद्धि खराब हो गई थी तो मांसाहारी शराबी नशेड़ी की बुद्धि कैसे सही रहेगी। मांसाहारी के अंदर दया, चेतनता का अभाव होगा। मांसाहारी क्रूर होगा, दया उसमें नहीं होगी। दया जिसके अंदर नहीं रहती है उसके अंदर वह मालिक निवास नहीं करता है। दया धर्म तन बसे शरीरा, ताकर रक्षा करें रघुवीरा।