धर्म-कर्म: महान समाज सुधारक, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि, बुद्धिजीवी वो जो बुद्धि का इस्तेमाल करके जीते, जीवन यापन करते हैं। जिनको पढ़े-लिखे लोग कहते हैं। बुद्धि से ही कोई काम होता है। श्रमजीवी वो जो मेहनत करते हैं। परजीवी वो जो दूसरे पर निर्भर रहते हैं, जैसे अमरबेल। अमरबेल की कोई जड़ नहीं होती। पेड़ के ऊपर बेल फेंक दो तो उसी से वह जिंदा रहता है। आजकल परजीवी लड़के बहुत हो रहे हैं।

बच्चों बुरी आदतों से हो जाओ अलग:-

करले निज काज जवानी में, इस दो दिन की जिंदगानी में। एक रोज जवानी जाएगी, लौट फिर न आएगी। यह फिर वापस आने वाली नहीं है। इसी में चाहे पढ़ाई-लिखाई कर लो, चाहे रोजी-रोजगार, नौकरी, चाहे खेती का काम करके तरक्की कर लो, चाहे देश सेवा, आत्मा की सेवा, मानव सेवा, नाम कमा लो, कुल खानदान का नाम ऊपर कर दो। लेकिन लड़के परजीवी बहुत हो रहे हैं, ठंडी रोटी खा रहे हैं। मेहनत करके गरम रोटी नहीं खा रहे हैं। बाप की कमाई खा रहे हैं। इधर-उधर से मिल जाए। ठगों के साथ पड़ जाते हैं, नशे में धुत हो रहे हैं। कौन सा नशा? ऐसा तेज नशा जिसमें आदमी होश में न रह जाए जैसे शराब अफीम कोकीन ड्रग्स गांजा भांग आदि तेज नशा होता है। तमाम नशे की गोलियां चल गई। नशे की चीजों के पाउडर बना दिए गए, कागज में लपेटा और दो फूक मारा, आंखें लाल। संभलों बच्चों, गलत काम में मत फंसो। गलत साथ में मत पड़ो, बुरी आदत को छोड़ने का संकल्प बनाओ। बुरी आदतों से अलग हो जाओ।

आप लोग अपने-अपने बच्चों का ध्यान रखो:- 

बच्चे बिगड़ रहे हैं। सतसंगियों के बच्चे भी गलत साथ मिलने की वजह से बिगड़ रहे हैं। कारण? आप उनका ध्यान नहीं रखते हो। बच्चे और बच्चिया घर से निकलते हैं, कहां जाते हैं, आपको कोई खबर नहीं। गलत बच्चो, गलत बच्चियों के साथ पड़ गए, आदत उनकी खराब हो जाती है। जब बात नहीं मानते हैं, जबरदस्ती करते हैं, पैसा खींचते हैं और रोते-चिल्लाते हैं, जान दे देने की कोशिश करते हैं तब पता चलता है लड़का, लड़की हाथ से निकल गई, मनमाना कर रही है तब होश में आते हो। अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत। जब उनकी आदत खराब हो गई या संकल्प बना लिया कि इस लड़के से ही या इसी लड़की से शादी करना है तो बात मानते हैं? रूप-रंग, पढ़ाई-लिखाई, धन-दौलत पर आ जाते हैं। नशे की आदत जो बन गई उसमें मजबूर हो जाते हैं। शादी के बाद का परिणाम क्या होता है? दो महीने भी नहीं बीतता है और तलाक, दहेज के मुकदमे में घर-घर को जेल जाना पड़ता है। ध्यान रखने की जरूरत है। बच्चो! परजीवी नहीं, स्वावलंबी बनो।

बच्चो! इस बात की भी शिक्षा लो कि हमको कुछ करके दिखाना है:-

जब आपका खान-पान, चरित्र अच्छा रहेगा तब आप आगे बढ़ सकते हो। चरित्र पर बहुत कुछ निर्भर करता है। कहा गया है- Money is lost nothing is lost, health is lost something is lost, but character is lost, everything is lost. इसलिए ध्यान रखो, समझ गए होंगे बुद्धिजीवी लोग हो।

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