धर्म कर्म: इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हुए बताया कि, एक समय ऐसा आता है जब भगवान भी हमें अच्छे नहीं लगते हैं। उन्होंने बताया की, जब लोगों की समस्याएं तकलीफें बढ़ती चली जाती है। कई उपाए करने के बाद भी जब कोई लाभ नहीं होता है तो भजन, भाव, भक्ति से मन हटने लगता है। वहीँ जब बीमारी, खाने की दिक्कत परेशानी रहती है, निंदा अपमान होता है तो भगवान भी अच्छे नहीं लगते हैं। इसलिए इस जीवात्मा की मुक्ति के लिए, प्रभु को पाने के लिए जरुरी है की हमारा मन सत्संग, भजन में लगे। सबसे पहले यह जरूरी है कि यह तकलीफें दूर हो। वहीँ इन तकलीफों को दूर करने के लिए आप पुरे परिवार के साथ बैठकर जयगुरुदेव नाम की ध्वनि एक घंटा बोलो और सभी को बुलवाना शुरू कर दो। साथ ही बराबर सुमिरन ध्यान भजन भी करते रहना। इससे तुम्हारी तकलीफें दूर होंगी तुम्हे आराम मिलेगा और फिर तुम्हारा मन प्रभु भक्ति में लगेगा और इस जीवात्मा का कल्याण हो जाएगा।

इसके साथ ही महाराज जी ने दिव्य दृष्टि खुलने पर जीखने वाले अद्भुद नजारों के बारे में बताते हुए कहा की, जब यह जीवात्मा शरीर से निकलती है, ऊपरी लोकों में जाती है। अलग-अलग लोकों की अलग-अलग खुशबू, आंनद, सुंदरता, दृश्य को देखती और उन्हें महसूस करती है। उन्होंने कहा की, उपर बहुत से लोक हैं। जहां आप रहते हो यह तो मृत्यु लोक है। इसी लोक को आप पूरा इन आंखों से नहीं देख पाते हो तो ऊपर का क्या देखोगे? उन्होंने कहा कि, जब आपकी दिव्य दृष्टि, तीसरी आंख खुलेगी, कर्म के पर्दे जो लगे हैं, हटेंगे, तब आनंद मस्ती आएगी, तब पता चलेगा। दिव्य दृष्टि और ऊपर के लोक की असली सुंदरता क्या है। लेकिन द्रव्य दृष्टि को खोलने के लिए जरुरी है की आप जयगुरुदेव नाम की ध्वनि एक घंटा रोज बोलो और लोगों को बुलवाओ इससे तुम्हारे साथ-साथ दूसरों का भी कल्याण होगा।

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