धर्म कर्म: कुदरत के नियमों को सरल शब्दों में समझा कर मनुष्य को आगामी कुदरती कहर से बचाने वाले, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि दुनिया की चीजें प्रकृति, कुदरत (भगवान) ने आदमी के फायदे के लिए बनाई है। नदी तालाब बनाया। उसमें शुद्धता के लिए मछली को बना दिया। कोई मुर्दा, बकरा, मुर्गा या पेशाब-टट्टी का टुकड़ा डाल दो तो मछली खाती है। गिद्ध और कौवे का भोजन मछली है। स्वास्थ्य सही रखने के लिए सूरज निकलने से पहले उठना फायदेमंद होता है। सूकरी लेट्रिन साफ करके चली आती थी। तो यह उन्हीं के लिए बनाया है। जब ऐसे जानवर मर जाते थे तो गिद्ध, कौवा, पक्षी, कुत्ता आदि जो मांसाहारी है, उनको खाते थे। मांसाहारी और शाकाहारी दोनों तरह के जानवरों की पहचान अलग-अलग कुदरत ने बना दिया है, और आदमी की पहचान अलग है।

कुदरती पहचान

कुत्ता, बिल्ली, शेर आदि मांसाहारी जानवरों की आंखें गोल, चमकीली होती है। अंधेरे में आपको दूर तक नहीं दिखेगा लेकिन इनको रात में दूर तक दिखाई पड़ता है। बड़ा जानवर, छोटे को खा जाता है जैसे शेर खा जाता है। आहार, आहार के लिए इनको बनाया गया है। आदमी की आंखें लम्बी होती है। इन जानवरों के बच्चों की आंखें तीन-चार दिन बाद खुलती है। इनका मुंह भी साफ करने में कुछ समय लगता है। इनकी माँ चाट-चाट के गंदगी को हटाती है तब मुंह साफ होता है उसके बाद बच्चे दूध पीना शुरू करते हैं। मनुष्य के बच्चे की आंख, मुंह पैदा होते ही खुल जाते हैं, तभी जोर से चिल्लाता, रोता है। जानवर और कीड़े जल्दी आंख नहीं खोल पाते हैं। बिच्छू, बच्चा देने के बाद दूसरा बच्चा नहीं देती है। कलयुग के प्रथम सन्त कबीर साहब ने बहुत समझाया, कहा- कबीर गुरु की भक्त बिन, राजा गधा होए, माटी लदे कुम्हार की घास न डाले कोए। कबीर गुरु की भक्त बिन, नारी कुकरी होए, गली गली भूकत फिरत, थूक न डाले कोई।

मांसाहारी और शाकाहारी जीवों में भिन्नताएं

मांसाहारी जानवरों का दांत एक बार जमता है और जीवन भर रहता है। मनुष्य के बच्चे का दांत एक बार जमता, निकलता है, फिर बाहर हो जाता है फिर दूसरा मुंह में जमा होता है। चाहे घोड़ा, गधा कोई भी शाकाहारी जानवर हो, (सामने) मांस डाल दो, सूँघ करके छोड़ देते हैं। आदमी भले ही कुछ न सूंघे, सब खाता दबाता चला जाए, लेकिन वह छोड़ देते हैं। शाकाहारी के, आदमी के भी दांत चपटे होते हैं। मांसाहारियों के दांत नुकीले होते हैं। बाहर से पहचान के लिए कुदरत ने बाहर निकले दो दांत बना दिए। यह मांसाहारी होते हैं। उनमें जबड़ा, जिसमें से दांत निकलता है, वो नहीं होता है। इसलिए आदमी जिसके जबड़ा होता है, वो मुंह (दाएं-बाएं) घुमा करके खा लेता है। आसमान को मांसाहारी (ऐसे मुंह उपर उठा कर) नहीं देख सकते हैं। बैठे-बैठे आदमी पीछे मुंह करके गर्दन घुमा करके देख सकता है। आदमी मुंह बंद करके खा सकता है। मांसाहारी जानवर मुंह बंद करके खा नहीं सकते हैं क्योंकि इनका मुंह ऊपर-नीचे ही होता है। यह तो नोचे, चप-चप खोदे, खाए और निगल गए। पानी कम पीते हैं। जैसे कुत्ते को गर्मी के महीने में पानी नहीं मिलता है तो जीभ बाहर निकालता-अंदर करता है। हवा में मौजूद नमी से पानी ले लेते हैं। आदमी को पानी की ज्यादा जरूरत पड़ती है। मनुष्य को पसीना ज्यादा आता है। उनको पसीना नहीं आता है। मांसाहारी के बच्चे पेट में जल्दी बनकर पैदा हो जाते हैं। मनुष्य के बच्चे 9 महीने मां के पेट में बनकर के बाहर निकलते हैं। तो यह सब पहचान है। तो जीवों पर दया करो, शाकाहारी बनो।

admin

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *