कबीर जयंती पर सतसंग में आओ, दुःख तकलीफों में राहत पाओ, नामदान लेकर भक्ति कमाओ, नर्क-चौरासी से मुक्ति पाओ
धर्म कर्म : निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज का सतसंग व नामदान 21 जून, शुक्रवार, सायं 5:30 बजे से व 22 जून, शनिवार, प्रातः 5 बजे से स्थान बाबा जयगुरुदेव आश्रम, जयगुरुदेव नगर, ओसियां रोड, दईजर, जोधपुर, राजस्थान में समय परिस्तिथि अनुकूल होने पर होगा। संपर्क- 9799948007, 8005833615, 9462709190.
बाबा जी कहते हैं कि, इस समय कलियुग में सन्त और सतसंग न मिलने से लोगों में अच्छे व बुरे की जानकारी खत्म होती जा रही है। यह मनुष्य शरीर जो भगवान ने भजन-इबादत के लिए दिया है, इसको गुनाहगार बनाकर इंसान कर्मों की सजा भुगत रहा है। गरीब गरीबी से, बीमार बीमारी से, गृहस्थ परिवार से, धनी-मानी, पद-प्रतिष्ठा वाले लोग शान्ति न मिलने की वजह से दुखी हैं। इसलिए इस समय पर सन्त और सतसंग की ठीक उसी तरह जरूरत है जैसे छोटे से बच्चे की संभाल करने के लिए माता पिता की जरुरत होती है ।
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इस समय पर घर-घर लड़ाई-झगड़ा, बीमारी, रुपया-पैसा में बरकत न मिलने से पूजा-पाठ इबादत करते हुए भी शान्ति नहीं मिलने से जो लोग दुखी हैं, खासतौर से उन्हीं लोगों के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। कार्यक्रम में बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी वक्त गुरु परम् पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज सतसंग व नामदान देने के लिए पधार रहे हैं। जो चीज रुपया-पैसा, राज पाठ, धन-दौलत से मिलने वाली नहीं है, ऐसी अमोलक दौलत आपको बख्शेंगे। अतः आप सभी जात-मजहब के मानने वाले लोगों को बुलावा दिया जा रहा है। आप परिवार, बच्चों सहित आइए, सतसंग सुनिए, पाँच नाम का दान लीजिए। जब तक इस धरती पर रहिए, सुख-शान्ति महसूस कीजिए, समय पूरा होने पर मुक्ति-मोक्ष प्राप्त कर लीजिए। याद रहे- दुनिया के काम कभी कम नहीं होंगे, पर बंदे एक दिन हम नहीं होंगे। “जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव” नाम की ध्वनि रोज एक घंटा लगातार बोलने से तकलीफों में आराम मिलने लगता है। बाबा जी के मुख्य आश्रम का पता :- बाबा जयगुरुदेव धर्म विकास संस्था, पिंगलेश्वर रेलवे स्टेशन के सामने, मक्सी रोड, उज्जैन (म.प्र.) Jaigurudevukm 9575600700, 9754700200. विश्व बने धर्मात्मा, पापों का हो खात्मा। हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा, बनो शाकाहारी।