धर्म-कर्म: अब तक धरती पर आए सभी सन्तों ने जितने जीवों को नामदान दिया, उससे कई गुना ज्यादा को नामदान देकर, नाम योग साधना करा कर, जन्म-मरण की असहनीय पीड़ा से छुटकारा दिला कर जीते जी मुक्ति-मोक्ष दिलाने ने वाले बाबा जयगुरुदेव के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी इस समय के मनुष्य शरीर मे मौजूद पूरे सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बताया कि, कुदरत न्याय करने के लिए मंच पर आ रही है। अभी तक तो इतना ध्यान नहीं था लेकिन अब सजा देने लग गई है। इसलिए आज पूर्णिमा के दिन से ही सभी लोग शाकाहारी हो जाएं। रूहों पर रहम करें, दया करें नहीं तो उनके पाप कर्मों से दब जाएंगे। कर्मों से किसी को छुटकारा नहीं मिलता, कर्मों की सजा तो भोगनी ही पड़ती है।
कर्मों को मिटाने की पावर केवल सन्तों में ही होती है:-
कर्म के बंधन में सबको बंधना पड़ा। कर्मों की सजा मिलती ही है लेकिन इसको कम और ज्यादा कौन कर सकता है? कौन मेट सकता है? जिसको पावर होता है- संतों को। आपको पिछले सतसंगों में सुनाया गया कि संतों का स्थान बहुत ऊंचा और पावर ज्यादा होती है। वह कर्मों को काट सकते हैं, कटवा सकते हैं, खुद के ऊपर ले सकते हैं।
सतगुरु के बताए सुमिरन, ध्यान, भजन करने से ही कटेंगे कर्म, आलस्य छोड़ कर करने का संकल्प बनाओ:-
आज पूर्णिमा के दिन से देश-दुनिया में आप सभी प्रेमी, नामदानी आलस्य को त्याग कर भजन, ध्यान, सुमिरन में लगो। इसी से आपके कर्म कटेंगे। छोटे-मोटे कर्म सेवा से कटते हैं लेकिन भारी कर्म आपको जो सुमिरन, धतान, भजन बताया गया है उससे कटेंगे। जैसे पानी से हल्के-फुल्के दाग तो धुल जाएंगे लेकिन भारी दागों को हटाने के लिए साबुन लगाना पड़ता है। कर्म जब ज्यादा हो जाते हैं तो उसका भोग भोगना पड़ता है। संकल्प बनाओ कि आलस्य छोड़ कर भजन, ध्यान, सुमिरन रोज करेंगे।