धर्म-कर्म: तीन दिवसीय गुरु पूर्णिमा सतसंग कार्यक्रम के दूसरे दिन 20 जुलाई को गुलाबी वस्त्र पहने भक्तों के जन सैलाब को सतसंग सुनाते हुए वक़्त के पूरे समर्थ सतगुरु, प्रथम पुरुष, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अपना आत्म कल्याण न कर पाने वाले जीव की उसके अंत समय की गति का वर्णन करते हुए बताया कि जब कर्मों की सजा मिलने लगती है तब ये काले कपड़े पहनना कोई मदद नहीं कर पाता। यमराज के दूत बड़े काले कुरूपी होते हैं। जब आते हैं तो आवाज लगा देते हैं कि चलो समय पूरा हो गया, मकान (शरीर) खाली करो। जो लोग मनुष्य शरीर में आए, सबको खाली करना पड़ा। जो महापुरुष कहलाए, आज जिनकी पूजा होती है, जिनके मंदिर जगह-जगह बने हुए हैं, बड़ा नाम है, वह भी मनुष्य शरीर में थे, उनको भी शरीर छोड़ना पड़ा, चाहे भगवान राम हो चाहे भगवान् कृष्ण हो।
अर्जुन की दिव्य दृष्टि खुलने के समान उपाय आज भी मौजूद है
कोई अगर डूब के मर जाए तो उसको क्या कहते हैं? कोई नदी में कूद करके शरीर छोड़ दे तो उसको कहते हैं, गुप्त हो गए थे। क्योंकि उन्होंने काम ऐसा किया धर्म की स्थापना किया, दुराचारियों का संहार किया इसलिए कहते हैं राम भगवान यहां गुप्त हुए थे, चारों भाई गुप्त हुए, यह गुप्तार घाट है। मैं किसी की कोई आलोचना नहीं करता हूं। हमारे लिए तो राम-कृष्ण भगवान पूजनीय हैं और उनकी जो पूजा करते हैं, हम उनको भी सम्मान देते हैं, मानते हैं। हम तो सबको मानते हैं। सियाराम मैं सब जग जानी, करहु प्रणाम जोरी जुग पानी। गोस्वामी जी महाराज जी ने राम की व्याख्या की, राम के बारे में बताया, कहा सबमें वो राम रम रहे। कौन से राम? एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट-घट में लेटा, एक राम का सकल पसरा, एक राम सब जग से न्यारा। जो सबमें रम रहे, जो राम में रमते रहे, और कृष्णा में भी रमते रहे, और जितने भी महापुरुष आए सब में जो रमते रहे, वही है राम। जब सब में राम है, हममें राम, तुममें राम, कण-कण में राम है, हम तो सब का सम्मान करते हैं, हम तो आलोचना किसी कि करते ही नहीं है। हम अगर सही कोई बात बताएं तो यह नहीं आपको समझना चाहिए कि हम आलोचना कर रहे हैं। यह तो समझ लो जानकारी करा रहे हैं। अगर आप जानकारी कर लोगे, जो अगर बताया जाएगा, उसके मुताबिक आप करोगे तो राम भगवान की पहचान हो जाएगी। कृष्ण भगवान जो मनुष्य शरीर में थे, काम किया, उनकी भी पहचान आपको हो जाएगी जैसे अर्जुन को हो गई थी। जब कृष्ण भगवान ने अर्जुन की दिव्य दृष्टि खोल करके महाभारत पहले ही दिखा दिया था, ऐसे ही आप भी विश्वास करोगे तो आपको अंदर में राम भगवान उसी तरह दिख जाएंगे, जैसे यहां आप मूर्ति में राम कृष्ण भगवान को देखते हो, विश्वास करोगे तो दिख जाएंगे।
नामदान एवं दर्शन
गुरु महाराज द्वारा सतसंग में भक्तों को जीते जी ईश्वर के दर्शन कराने वाला गुरुमन्त्र- नामदान दिया गया तथा सतसंग के बाद भक्तों ने कतारबद्ध होकर अनुशासन के साथ उनके दर्शन भी किये।
आश्रम पर उमड़ा भक्तों का सैलाब
इसी गुरु पूर्णिमा में गुरु के सतसंग और दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से भक्तों का जन सैलाब, जयपुर आश्रम में पहुँच रहा है जिनके लिये सेवादारों द्वारा 30 से ज्यादा भोजन भंडारों की व्यवस्था की गई है। साथ ही सैकड़ों डेरे-रावटियाँ और शौचालयों को तैयार किया गया है। स्वास्थ्य, सुरक्षा, विदेश, अतिथि, जल, बिजली, सफाई आदि विभागों के द्वारा सेवादार, आने वाले भक्तों को सेवाएं दे रहे है। 21जुलाई को गुरु महाराज द्वारा गुरु पूजन किया जाएगा जिसके बाद चमत्कारी प्रसाद का वितरण किया जायेगा।