धर्म कर्म: निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, अपने गुरु के चिन्ह के रूप में उनकी याद को चिरकाल तक बनाये रखने वाले, मंदिर तो एक जरिया है लेकिन वास्तिवकता में जिनके माध्यम से बाबा जयगुरुदेव जी महाराज अब अपनी दया लुटा रहे हैं, ऐसे इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि एक बड़ा आश्रम आपका बावल, रेवाड़ी में है जहां पर आपके सहयोग से गुरु महाराज का चिन्ह, मंदिर बन रहा है। गुरु महाराज की इतनी दया है कि तेजी से काम चल रहा है और कुछ दिन के बाद जब वो मंदिर तैयार हो जाएगा, लोग वहां जाएंगे, मत्था टेकेंगे, भजन करेंगे तब वह क्या अनुभव करेंगे, यह तो वही बताएंगे, यह तो समय ही बताएगा। इसलिए हमको-आपको यह भी सोचते रहना है कि हमारे गुरु महाराज का मंदिर जल्दी से बन कर के तैयार हो जाए। धार्मिक भावना जागृत रखने के लिए, और तरह-तरह की भावना रख कर के लोग मंदिर बनवाते हैं, लेकिन अपने यह जो गुरु महाराज का मंदिर बन रहा है, यह परमार्थी दृष्टिकोण का मंदिर है। यहां पर परमार्थ का काम होगा, जीवों का काम होगा। यहां जो आएंगे, उनको सुख शांति मिलेगी। इसलिए वो बावल, जिला रेवाड़ी, हरियाणा में पड़ता है। जयपुर से दिल्ली हाईवे रोड़ पर ही है। वह एक अद्वितीय मंदिर होगा, वह एक अलग ही मंदिर होगा। तो जल्दी से वो भी तैयार हो जाए, इस चीज का आप सब लोगों को ध्यान रखना है।

आपको पता चलेगा कि आपका मेहनत रंग लाया है।

आप लोग सब लगो और जल्दी से गुरु महाराज का मंदिर, जिसमें सेवा करने के लिए आए हो, इसको आप बना करके तैयार कर लो। जब यह तैयार हो जाएगा और यहां लोग आएंगे, भाव प्रेम से मत्था टेकेंगे, जो जैसे आएगा उसको जब वैसा फल मिलेगा तब आपको पता चलेगा कि हमारा मेहनत रंग लाया। अभी तो आपने पेड़ लगाया है। जब ये तैयार हो जाएगा और इसमें जब फल आएगा और फल जब लोग खाएंगे और फल का जब लाभ, रस लोगों को मिलेगा तब तो आपको उसमें फायदा दिखेगा कि आपने जो लगाया था, आपको कितना फल मिला, आपको तब पता चलेगा। तो प्रेमियो! समय की बात होती है, समय मिला है। समय का उपयोग करो। समय निकल जाएगा फिर तो कुछ नहीं हाथ आएगा। गया वक्त फिर हाथ आता नहीं। अभी तो गुरु महाराज आपको पावर शक्ति प्रेरणा दिया तब तो आप घर छोड़कर आए, तब तो आप धन की मन की सेवा करते हो। और जब ये दया हट जाएगी तब भीलन लूटी गोपिका, वही अर्जुन वही बाण, पुरुष बली नहीं होत है, समय होत बलवान। समझो फिर, वही महाभारत के योद्धा अर्जुन हीरो कहलाए लेकिन गोपिका को भीलों ने लूट लिया और वह कुछ नहीं कर पाए। ऐसे समय निकल जाएगा कुछ नहीं हो पाएगा।

अपनी जीवात्मा का रक्षा कौन कर सकता है?

अपनी जीवात्मा का रक्षा वही कर सकता है जो दूसरों की जीवात्मा की रक्षा करेगा, उस पर दया करेगा, प्रभु के बनाए हुए जीव पर दया करेगा। जब उसी का अंश सब में हैं, जब उसी का बनाया हुआ सब खिलकत है तो जीवों पर दया करो। आपसे कह दिया जाए मुर्गा तैयार करो तो मुर्गा का फोटो भले बना दो, चीनी मिट्टी, लकड़ी, लोहे, पत्थर, सोना, चांदी का बना दोगे लेकिन उसमें जान नहीं भर पाओगे। तो जो उसमें जान भरता है, जो उनका सिस्टम ऐसा बनाता है कि खाते हैं, हजम हो जाता है, बच्चा पैदा करते हैं, दूध पिलाने की जो व्यवस्था पहले ही कर देता है, जैसे मां के स्तन में बच्चा के पैदा होने के पहले ही दूध भर जाता है। कौन भरता है? वह प्रभु भरता है। तो यह सब उसके जीव है। आप उसको मारने के हकदार नहीं हो। देखो लोग मारते भी हैं और खा भी जाते है। पूजा उपासना के लिए भगवान के दिए मानव मंदिर को गंदा कर लेते हैं। मंदिर, मस्जिद, गिरजा घर, गुरुद्वारा जहाँ पूजा पाठ इबादत ग्रंथ का पाठ करते हो, वहां आप टट्टी-पेशाब, मुर्दा-मांस डाल दो तो कोई पूजा पाठ, नमाज, ग्रंथ का पाठ नहीं करेगा, कहेगा जगह गंदी हो गई। लेकिन शरीर को गंदा कर लेते हैं, पाप लाद लेते हैं। जीव हत्या करना बहुत बड़ा पाप होता है। जीव हत्या करनी नहीं चाहिए और जीव हत्या जिसमें हो वो कोई भी काम नहीं करना चाहिए।

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